________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चौराहे पर बिकना पड़ा!
१२५ रहेगा... तन तंदुरुस्त रहा तो मन अपने आप दुरुस्त रहेगा। कुछ सोच भी सकोगी। कभी-कभी जैसे मन की बीमारी शरीर को बीमार कर देती है, वैसे शरीर की बेचैनी मन को भी हताश बना डालती है।' ___ सुरसुंदरी एक परिचारिका के मुँह से इतनी गहरी बात सुनकर सोच में पड़ गयी : ‘यह सही बता रही है...यहाँ से छूटने का, भाग निकालने का उपाय सोचना चाहिए। भूखा पेट कोई उपाय नहीं खोज पाएगा। उसने पारिचारिका की ओर देखकर पूछ लिया :
'दुःख को दूर करने का उपाय तू मुझे बतलाएगी? 'पहले खाना खा लो... फिर बातें करना ।'
सुरसुंदरी ने भोजन कर लिया। परिचारिका सुरसुंदरी को निहारती रही। भोजन करने का उसका तौर-तरीका देखती रही... फिर धीरे से फुसफुसायी : 'क्या तुम किसी बड़े घराने की हो?'
सुरसुंदरी ने सिर हिलाकर हामी भरी। परिचारिका खाली थाली लेकर चली गयी। सुरसुंदरी उसके कदमों की आहट को सुनती रही...!
For Private And Personal Use Only