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बड़ों का कहा मानो
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५. बों का कहा मानो।
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एक सरोवर था!
सरोवर के किनारे पर एक बड़ा घटादार पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत सारे हंस रहा करते थे।
दिन को वे हंस सरोवर के पानी में तैरते... और रातों को पेड़ के ऊपर अपनी-अपनी डाली पर आकर आराम करते! कभी-कभी दाना चुगने के लिये दूर-दूर उड़ भी जाते! पर शाम को वे जरुर अपने पेड़ पर आकर रहते। ___ उन हंसों के टोले में एक बूढ़ा हंस भी था । बूढ़े हंस ने एक दिन देखा कि पेड़ की जड़ के इर्द-गिर्द एक बेल का अंकुर उग रहा है। उसकी आँखो में डर उभर आया । उसने सोचा : 'यह बेल शायद बड़ी होकर हमको नुकसान कर सकती है। अभी से इसको काट देना चाहिए।' पर उस बूढे हंस की चोंच कमजोर थी। उसने सभी हंसो को बुलाकर कहा :
'देखो बेटों, अपने पेड़ की जड़ में जो बेल का अंकुर उगा है, उसे तुम चोंच से काट डालो, वरना अपने सबको एक दिन मरना पड़ेगा!'
बूढ़े हंस की बात सुनकर जवानी के जोश में होश गवाँ बैठे जवान हंस हँसने लगे। बूढ़े हंस की मजाक करने लगे। एक जवान हंस ने कहा : 'दादा, अब तो आप काफी बूढ़े हो गये हो, फिर भी मौत से घबराते हो? वैसे भी अब मौत तो आपके सामने खड़ी है...! हम भी मौत से नहीं डरते...फिर आपको तो डरने की जरूरत ही क्या है! आप चिंता क्यों करते हो? हमारी रक्षा करना हमें आता है। हम अपने आप निपटेंगे आनेवाली आफत से | आप नाहक परेशान मत होओ!'
बूढ़ा हंस बेचारा मन में सोचता है : 'ये हंस मेरा कहना मान नहीं रहे हैं | मेरी बात का महत्व नहीं समझ पा रहे हैं। मूर्ख हैं। हालांकि मूों को उपदेश या सलाह देनी ही नहीं चाहिए | नकटे आदमी को आईना बताने से उल्टा वह गुस्सा करता है, वैसे ही मुर्ख को सलाह देने से वह चिढ़ता है!'
बूढ़े हंस ने कहा : "ठीक है...जब आफत उतरेगी तब अकल ठिकाने आयेगी। ओ अभिमान के पुतलों, अभी तुम मेरा मजाक उड़ा रहे हो... पर जब मौत आकर घेरेगी तब फिर देखना...' ___ 'हम मौत से बिल्कुल नहीं डरते... आप आपका काम करो!' जवान हंसों ने बूढ़े हंस की बात सुनी-अनसुनी कर दी!
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