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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवी प्रसन्न होती है ! २१ सोमचन्द्र मुनि ने देवेन्द्रसूरिजी के कानों में कहा : 'मुझे तो लगता है ये कोई विद्यासिद्ध महापुरुष हैं। हम उन्हें वंदना कर के सुख-शाता-पृच्छा करें।' दोनों महात्मा उन वृद्ध साधुपुरुष के पास गये। उनके चरणों में भावपूर्वक वंदना की। कुशलता पूछी। वृद्ध महात्मा ने पूछा : 'आप दोनों कहाँ जाने के लिए निकले हो?' देवेन्द्रसूरिजी ने कहा : 'हम गौड़ देश में जाने के लिए चले हैं।' 'प्रयोजन?' वृद्ध साधु ने कहा। 'विद्याप्राप्ति ।' देवेन्द्रसूरिजी ने प्रत्युत्तर दिया। वृद्ध साधु ने कहा : 'विद्याप्राप्ति के लिए इतने दूर के देश में जाने की आवश्यकता नहीं है। मैं तुम्हें सारी विद्याएँ दूंगा। मेरे पास सारी विद्याएँ हैं। परन्तु तुम्हें मुझे गिरनार पर्वत पर पहुंचाना होगा। मैं बूढ़ा हूँ| चल नहीं सकता। वहाँ पहुँच कर मैं तुम्हें मनचाही विद्याएँ दूंगा! तुम जैसे सुयोग्य साधकों को मेरी विद्याएँ देकर मेरा मन भी संतुष्ट होगा। इतना ही नहीं परन्तु तुम्हारे ही हाथों मेरी अन्तिम क्रिया होगी!' _ 'नहीं, नहीं महापुरुष! ऐसा अशुभ कथन मत करो। आपका जीवन दीर्घायु हो। आपकी विद्या शक्तियों से दुनिया का भला हो!' ___ आयुष्य जितना होगा उतना ही तो जिया जाएगा। महानुभाव! अब तुम गाँव में जाओ, और जाकर डोली की सुविधा कर आओ। सबेरे हमें यहाँ से प्रयाण करना है। देवेन्द्रसूरिजी और सोमचन्द्रमुनि गाँव के मुखिया के पास गये | मुखिया से मिलकर डोली और डोली उठानेवाले आदमियों की व्यवस्था कर के वापस उपाश्रय में लौटे। दोनों के दिल में खुशी का दरिया उछल रहा था। देवेन्द्रसूरिजी ने कहा : 'सोमचन्द्र मुनि, तुम सचमुच सौभाग्यशाली हो! सरस्वती की उपासना करने के लिए तुम्हें कश्मीर तक जाना नहीं पड़ा, वैसे ही विद्याशक्तियाँ प्राप्त करने के लिए तुम्हें गौड़ देश तक लम्बा नहीं जाना पड़ेगा! तुम्हारा पुण्य बल खुद ही ऐसे विद्यासिद्ध महापुरुष को तुम्हारे समीप खींच लाया । तुम्हारे साथ आने से मुझे भी विद्यालाभ होगा!' For Private And Personal Use Only
SR No.009634
Book TitleKalikal Sarvagya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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