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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है २३ व्यक्ति को तड़प-तड़प कर मरते देखता है, तो यह समझ लेना कि वह बहुत बड़ा पाप कर रहा है। तेरी गंभीर समस्याओं की दृष्टि से मेरा उत्तरदायित्व बहुत बड़ा है। प्रिय आत्मीय! यदि समस्याओं का समाधान पाना है, तो कभी भी अस्वस्थ, अशांत और उद्विग्न नहीं होना। हर समस्या का समाधान है। समाधान ढूँढ़ने वाला मन स्वस्थ, शांत और अनुद्विग्न होना चाहिए। अपने जीवन में तो ऐसी जटिल समस्या ही कौन सी है? जिसका उत्तर ही न मिले? ऐसे प्रश्न ही कौन से हैं? ऐसी घोर समस्या तो थी स्वजनों से परित्यक्ता उस गर्भवती सती अंजना और सती सीता के जीवन में, जो असहाय... अनाथ सी जंगलों में भटक रही थी। जीवन है, स्वाधीन नहीं, पराधीन जीवन है। अनन्त-अनन्त कर्मों के बंधन हैं। पराधीनता में प्रश्न रहेंगे, पराधीनता में समस्याएँ रहेंगी ही। इस सत्य को स्वीकार करना ही होगा। काम एक ही करना है। अपने मन को उन असंख्य समस्याओं में उलझने नहीं देना। भले हमारे द्वार पर वे असंख्य प्रश्न खड़े हों खड़े रहने दो, हमारे मन को उन प्रश्नों से मुक्त रखो, हमारे मन को उन समस्याओं से मुक्त रखो। उन प्रश्नों को अपने मन पर 'हावी' न होने दें। इतना तो हम कर सकते हैं। ___मैंने पिछले पत्र में एक बात लिखी थी : निराशा से मुक्त हो । संकल्प-शक्ति से युक्त हो । तू ने लिखा : 'क्या संकल्प (निश्चयात्मक विचार) करने से सिद्धि प्राप्त होती है?' हाँ, संकल्प से सिद्धि मिलती है, परन्तु धैर्य रखना होगा। संकल्प की सिद्धि होती है, परन्तु कब हो, हम नहीं जान सकते। इस जीवन में नहीं हो, दूसरे जीवन में हो! जीवन में नहीं हो, मृत्यु के बाद हो! अमरीका के प्रसिद्ध नाटक-अभिनेता 'चार्ल्स काल्गन' के जीवन की उस घटना को जानता है? चार्ल्स काल्गन का जन्म हुआ था कनाडा में और जीवन बिता अमरीका में। वह बड़ा लोकप्रिय अभिनेता था। लोग उसके पीछे पागल थे। सभी को चार्ल्स कहता : 'तुम्हें यदि मुझ पर सच्चा प्रेम है, तो मुझे मेरे वतन कनाडा के 'प्रिन्स द्वीप' में गाड़ना, मेरे मृत देह को मेरे वतन में गाड़ना...।' लोग उसकी इस बात पर हँसते थे। चार्ल्स की यह कामना थी। चार्ल्स का यह दृढ़ संकल्प था । 'टेक्सास' के लोग चार्ल्स की इस मनोकामना से परिचित थे। पचपन वर्ष की आयु में चार्ल्स की मृत्यु हो गई। 'टेक्सास' में उसकी मृत्यु For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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