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जिंदगी इम्तिहान लेती है संसार दावानल है, उसको बुझाया नहीं जा सकता, हम उस दावानल से बचकर निकल सकते हैं!
पवित्र नवपदजी की ओली के दिन हैं, नौ दिन का जिनेन्द्रभक्ति का महोत्सव चल रहा है। दीपावली के दिन सामने हैं... श्रमण भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण कल्याण आयेगा... और कार्तिक पूर्णिमा को चातुर्मास पूर्ण हो जायेगा। समय नियमित है... निरन्तर गति कर रहा है। 'अरिहंत' भी चौथा वर्ष पूर्ण कर रहा है... नवम्बर से पाँचवे वर्ष में प्रवेश करेगा। 'अरिहंत' के माध्यम से तुझे ये पत्र लिख रहा हूँ। अनेक मुमुक्षु आत्माओं के प्रश्नों को लेकर ये पत्र लिखता हूँ। मन का समाधान होना मोक्षमार्ग की आराधना में अति आवश्यक है। मन को आर्तध्यान से बचा लेना अनिवार्य है। तेरी कुशलता चाहता हूँ। १-१०-७६ डीसा
- प्रियदर्शन
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