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जिंदगी इम्तिहान लेती है
१३९ फिर से तुझे कहता हूँ कि मैं उधर तेरे पास... तेरे शहर में नहीं आ सकता हूँ... तुझे मेरे पास आना चाहिए | शायद तू नहीं आएगा.. मैं जानता हूँ तेरे स्वभाव को... परंतु मुझे तेरे प्रति कोई अभाव नहीं होगा | चूँकि तेरा दिया हुआ विपुल स्नेह मेरे पास जमा है न?
१४-१-७९ पोशीना
- प्रियदर्शन
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