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प्रवचन-९०
१७९ संपत्ति थी, दो वर्ष में समाप्त हो गई..... घर भी बिक गया। माता-पुत्र रास्ते भटकते भिखारी हो गये। उस समय भी उस औरत को 'मैंने दोषों को, गलतियों को बढ़ावा दिया, इसका यह परिणाम है,' ऐसा महसूस हुआ होगा क्या?
० बम्बई में एक भाई के पास अचानक चार-पाँच लाख रुपये आ गये। उसने मौज-मजा करना शुरू कर दिया। पति और पत्नी, दो ही थे घर में। दोनों होटलों में खाना खाते हैं। शराब भी पीते हैं। क्लबों में जाने लगे। पत्नी ने पति के पापाचारों को बढ़ावा दिया। पति एक दूसरी खूबसूरत औरत के मोह में फँस गया । एक वर्ष के बाद पत्नी को मालुम हुआ। झगड़ा होने लगा। पुरुष, पत्नी को मारपीट भी करने लगा। दो वर्ष के बाद पति को केन्सर हो गया......। इतने विनाश के कगार पर पहुँचने पर भी पत्नी को ख्याल आया होगा या नहीं कि 'मैंने अपने पति को जो दुष्कार्यों में प्रोत्साहन दिया, इसका यह परिणाम है?'
० बम्बई की ही एक दूसरी करुण घटना है। श्रीमन्त लोगों को अपनी श्रीमन्ताई का प्रदर्शन करने का मोह, क्लबों में एवं होटलों में ले जाता है। बम्बई में एक ऐसी संस्था है, जहाँ पति-पत्नी के अनेक युगल रात्रि में इकट्ठे होते हैं, एक-दूसरे से परिचय करते हैं। आपकी पत्नी दूसरे पुरुष के पास बैठेगी, दूसरे की पत्नी आपके पास बैठेगी। परस्त्री और परपुरुष का संपर्कपरिचय - उसको वे लोग अच्छा मानते हैं! रात को बारह-एक बजे तक उन लोगों का कार्यक्रम चलता रहता है। एक युगल जिसको मैं जानता हूँ - उसकी बात है। स्त्री किसी दूसरे पुरुष के परिचय में आ गयी। शारीरिक संबंध हो गया.....| पति को मालूम नहीं हुआ था। रात को एक बजे दोनों घर पर आये। जब सब सो गये तब उस महिला ने अग्निस्नान कर लिया। खानदान घराना था। महिला ने संयोगवश शीलभंग कर लिया, परन्तु उसके हृदय में घोर पश्चात्ताप हुआ होगा। आत्महत्या करके वह मर गई। इतना होने पर भी पति को खयाल नहीं आया कि 'मेरी ही वजह से यह दुःखद घटना घटी है।' ___ दोषों को, दुर्गुणों को, दुष्कृत्यों को प्रोत्साहन देने से वे दोष और दुर्गुण आपके जीवन में आयेंगे। आप दुष्कृत्य करने वाले बन जायेंगे। वैसे ही यदि आप गुणों को एवं सत्कार्यों को प्रोत्साहन देंगे तो आपके जीवन में अनेक शुभ गुण आयेंगे और आप अनेक सत्कार्य करने वाले बन जायेंगे।
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