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प्रवचन-५० संयम पाना है, तो ऐसा साहित्य मत पढ़ो | घर में भी ऐसा साहित्य नहीं आना चाहिए | चक्षुरिन्द्रिय पर विजय पाने के लिए निम्न बातों का पालन करना ही होगा :
० सिनेमा, नाटक और टीवी देखना बंद करो। ० लड़ाई-झगड़ों के प्रसंग मत देखो। ० दूसरों की वेश-भूषा मत देखो। ० पुरूषों को परस्त्री का रूप नहीं देखना चाहिए। स्त्रियों को पर-पुरूष
का रूप नहीं देखना चाहिए | ० निम्न स्तर का साहित्य मत पढ़ो । ० नियमित परमात्ममंदिर में जाकर परमात्मा की मूर्ति के दर्शन करो। ० नियमित धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करो।
दृढ़ता के साथ यदि इन बातों का पालन करोगे तो चक्षुरिन्द्रिय पर विजय पा सकोगे। यदि आँखों का दुरूपयोग किया तो इस जन्म में भी अन्धापन आ सकता है। आनेवाले जन्म में तो आँखें मिलेगी ही नहीं। आँखों के दुरुपयोग से आँखों के अनेक रोग भी होते हैं।
अब घ्राणेन्द्रिय-विजय के विषय में कुछ बातें सुन लो। घ्राणेन्द्रिय-विजय :
मनुष्य को नाक है तो सुगन्ध-दुर्गन्ध तो मिलती रहेगी। इसमें तो इतनी ही सावधानी बरतने की है कि ज्यादा सुगन्ध का अनुरागी नहीं बनना है और दुर्गन्ध में घृणा नहीं करनी है। किसी सुगन्ध की आदत नहीं होनी चाहिए। रसनेन्द्रिय-विजय :
रसनेन्द्रिय यानी जिह्वा । बड़ी महत्त्वपूर्ण इन्द्रिय है यह। दूसरी इन्द्रियों का एक-एक काम होता है, इस इन्द्रिय के दो काम हैं! बोलने का और स्वाद लेने का। बोलना और खाना-पीना - ये दो, जीवन के महत्त्वपूर्ण कार्य हैं। जिस व्यक्ति का रसनेन्द्रिय पर संयम होता है, वह व्यक्ति जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँचता है और जिसका संयम नहीं होता है वह व्यक्ति निष्फलता की गहरी खाई में गिर पड़ता है। इस इन्द्रिय पर विजय पाने के लिए कुछ उपाय बताता हूँ। यदि आप इन उपायों को जीवन में स्थान दोगे तो अवश्य रसनेन्द्रियविजेता बन पाओगे |
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