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प्रवचन-५९
११७
यों तो आज लाखों युवकों के जीवन नष्ट हो रहे हैं नशे के मार्ग पर, परन्तु इस युवक ने जब अपनी कहानी सुनायी.... तब विश्वास दृढ़तर हुआ कि वास्तव में ज्ञानीपुरुषों का कथन सम्पूर्ण सत्य है ! प्रत्यक्ष प्रमाण बलवत्तर होता है न!
एक दिलधड़क सत्य घटना :
उस युवक ने कहा : 'मैं कॉलेज में पढ़ता था । पढ़ने का तो नाम था, काम तो था मौज-मज़ा करने का। काफी रुपये खर्च करता था। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे बहुत डाँटा ....मेरा दिमाग ज्यादा बिगड़ा। घर पर आना मुझे अच्छा नहीं लगता। कुछ ऐसे मित्रों के साथ मैं क्लब में जाने लगा । वहाँ मैंने शराब पीना शुरू किया। जुआ भी खेलने लगा। घर में से रुपये चुराने लगा ।
एक दिन क्लब के बाहर कुछ बदमाशों के साथ झगड़ा हो गया, तब से मैं अपनी जेब में छुरी रखने लगा। कॉलेज में जाता कभी, तो भी छुरी साथ में
रखता ।
मेरे जीवन की भयानक घटना तो बाद में घटी। एक दिन मैंने काफी तेज शराब पी ली। जब मैं क्लब से बाहर निकला, तो मेरा बदन जल रहा था, मेरी इन्द्रियाँ उत्तेजित हो गई थीं। मैं एक बदमाश गली में चला गया। वह गली वेश्याओं की थी। मैं एक मकान की सीढ़ी चढ़ गया .... परन्तु ज्यों ही कमरे में प्रवेश करता हूँ, सामने दूसरा आदमी आ गया। हम टकरा गये.... उसने गाली बोल दी.... मेरा खून खौल उठा.... मैंने उसके मुँह पर वज्र जैसा मुष्टिप्रहार कर दिया। हमारी लड़ाई जम गई और मैंने जेब से छुरी निकालकर पूरी ताकत से प्रहार कर दिया.... ।
हत्या करने के बाद मुझे होश आया .... मुझे पसीना छूट गया । मेरा कलेजा धक-धक करने लगा। मैं जल्दी से नीचे उतरकर अंधेरी गलियों में भागने लगा। मैं भयभीत था। पुलिस का भय था और जिसको मैंने मारा था उसके साथियों का भी मुझे भय था । मैं दो घंटे तक भागता रहा.... थक गया था...... एक मकान के नीचे अंधेरे में मैं खड़ा रह गया । परन्तु दुर्भाग्य मेरे साथ था । मैं एक भयानक बदमाश के सिकंजे में फँस गया। मैंने जो हत्या की थी वह उसने जान लिया था। मुझे उस बदमाश की टोली में शामिल होना पड़ा । मेरी मजबूरी थी। मेरी सारी दुनिया ही बदल गई । हिंसा, चोरी, जुआ, शराब, वेश्या इत्यादि मेरी दुनिया बन गई ।
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