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प्रवचन-२९ हूँ.....आप लोग 'बैंक आफ इन्डिया' में जमा करते रहो!' कहते हो क्या? यदि कहो, तो भी आपकी बात वे लोग मानेंगे सही....? __ परिवार के जीवनयापन में बाधा न पहुँचे उतना लक्ष्य रखते हुए आप यह अभिनव तीर्थयात्रा में कुछ रूपये खर्च करते रहें। अर्थोपार्जन में न्याय-नीति और ईमानदारी को कभी न भूलें। आप विश्वास करें कि न्याय-नीति के मार्ग पर चलने से आपको जीवननिर्वाह हेतु पर्याप्त धन मिलेगा ही। चूँकि न्यायनीति का भाव 'लाभान्तराय कर्म' का क्षयोपशम करता है। यह सिद्धान्त विस्तार से आगे बताऊंगा।
आज, बस इतना ही।
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