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प्रवचन- १६
२१५
सभा में से: भिखारी तो क्या, साधुमहाराज भी अगर तीन-चार बार भिक्षा लेने आ जाए तो भी मन में गड़बड़ हो जाती है।
महाराजश्री : क्या बात करते हो ? साधुपुरुष तो सुपात्र हैं, उनके प्रति तो भक्तिभाव और पूज्यभाव है, करुणा नहीं । जहाँ पूज्यभाव और भक्तिभाव होता है, वहाँ तो सर्वस्व समर्पण करने की भावना उल्लसित होती है। आप कहते हो कि दिन में तीन-चार बार साधु गोचरी लेने आ जाते हैं तो भी पसन्द नहीं आता है ! तो फिर पूज्यभाव कहाँ रहा ? भक्तिभाव कहाँ रहा? हाँ, भिक्षा देने की क्षमता न हो, घर में इतनी गरीबी हो, निर्धनता हो और दे न सको, दूसरी बात है। वहाँ तो अपनी असमर्थता का दुःख होता है, साधुपुरुषों के प्रति अप्रीति या अभाव तो होगा ही नहीं । परन्तु जहाँ जिस हृदय में करुणा नहीं हो, उस हृदय में प्रमोद - भक्तिभाव - पूज्यभाव हो ही कैसे ? भिखारी के प्रति अनुकंपा नहीं है, दीन-दुःखी के प्रति करुणा नहीं है, तो उच्च कोटि के साधन - गुणवान पुरुषों के प्रति प्रमोदभाव हो ही नहीं सकता।
सभा में से : ऐसा देखते हैं कि गरीबों के प्रति द्वेष - तिरस्कार और नफरत करनेवाले भी कुछ लोग साधुपुरुषों की सेवाभक्ति बहुत करते हैं।
महाराजश्री : अच्छी बात कह दी आपने! ऐसे निर्दय और करुणाहीन पुरुष तब तक हम लोगों की सेवाभक्ति करते हैं, जब तक उनका हम लोगों से कोई स्वार्थ होता है! अथवा सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है । अथवा घर में से किसी का दबाव होता है! हाँ, हम साधु हैं, त्यागी हैं, मोक्षमार्ग की आराधना करते हैं... इस दृष्टि से लोग हमारी सेवाभक्ति नहीं करते। उनके हृदय में साधुता का अनुराग नहीं होता है, ऐसे लोगों से बहुत सावधान रहना पड़ता है। दिखावा होता है भक्त का, हृदय होता है शैतान का ! ऐसे लोग कभी न कभी धोखा देते ही हैं।
धार्मिकता : दया-करुणा के बिना क्या काम की ? :
इसमें भी जो लोग ‘परमात्मभक्त' अथवा ‘गुरुभक्त' के रूप में प्रसिद्ध होते हैं, वे लोग यदि दयाहीन - करुणाहीन होते हैं, तो वे लोग दुनिया में परमात्मा को और गुरुजनों को बदनाम करते हैं। दुनिया तो परमात्मभक्तों से, गुरुभक्तों से दया और करुणा की ही अपेक्षा रखती है । यदि यह अपेक्षा पूर्ण नहीं होती है, तो दुनिया उन लोगों की तो निन्दा करती ही है, देव गुरु की भी निन्दा करती है। दुनिया की दृष्टि में गुरुतत्त्व और परमात्मतत्त्व की प्रतिष्ठा बनाए रखने की जिम्मेदारी भक्त लोगों की बन जाती है । यदि भक्तलोग दया- करुणा
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