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प्रवचन-१४
१८७
आप पत्नी को उपकारी मानते हो?
सभा में से : हमारे घरवालें तो हमको उपकारी नहीं मानते हैं! [सभा में जोरदार हँसी की लहर...]
महाराजश्री : आपकी पसंदगी अच्छी नहीं होगी! [सभा में फिर से हँसी की लहर...] पसंदगी अच्छी होती तो वह आपको उपकारी मानती! आप सुख देते हैं तो! मेरे ख्याल से आप थोड़े बहुत सुख के साधन देते होंगे, परन्तु सुख नहीं देते होंगे! मेरी बात सही है? सुख के साधन देना एक बात है, सुख देना अलग बात है। सुख के साधन देते हो परन्तु साथ में गालियाँ भी...? कभी मारते होंगे? कभी झगड़ा? बेवफाई तो नहीं करते हो न? आपको आपके श्रीमतीजी उपकारी क्यों नहीं मानते? आपके लक्षण अच्छे हो तो अवश्य मानेंगे! युगबाहु तो कितना सुयोग्य युवराज था, जानते हो? मदनरेखा के प्रति पूर्ण वफादारी थी। पूर्ण सौजन्य था, उच्च खानदानी थी। मदनरेखा भी असाधारण सन्नारी थी। पवित्र और विशुद्ध अन्तःकरणवाली थी। उसने अपने पति का आत्महित सोचा। 'इनका परलोक नहीं बिगड़ना चाहिए। जो होना था, वह हो गया। अब ये बचनेवाले नहीं हैं। उनका मन प्रशान्त होना चाहिए। समता और समाधि के साथ यदि उनकी आत्मा परलोक की यात्री बनेगी तो अवश्य उनकी सद्गति होगी। मुझे उनकी कषाय की आग शान्त करनी चाहिए।'
कैसी आत्ममैत्री है मदनरेखा की? स्वजनमैत्री है, उपकारीमैत्री है और आत्ममैत्री है। अपने सुख-दुःख का कोई विचार नहीं। अपने सौभाग्य-वैधव्य का उस समय कोई विचार नहीं! पति के घातक मणिरथ के प्रति भी उस समय कोई वैर-विरोध की बात नहीं। क्या साधारण स्त्री में ये बातें संभवित हैं? ऐसी आकस्मिक भयंकर दुर्घटना में दिमागी संतुलन रहना सामान्य स्त्री के लिए संभव है क्या? मनुष्य-मन की बेहाली :
कौन साधारण स्त्री और कौन असाधारण स्त्री है? कौन सामान्य स्त्री और कौन असामान्य स्त्री है? बात समझ रहे हो ना? समझ लो ये बातें तो निहाल हो जाओगे! यहाँ उपस्थित बहनें यदि ये बातें अपने मन में ले लें तो आज भी अनेक मदनरेखा मिल सकती हैं। परन्तु सुनना और है, समझना अलग है और आचरण में लाना बहुत ही मुश्किल है। B.A., M.A. या B.Com., M.Com
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