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________________ ४२ आ वृत्तिनी लींबडीना जैनज्ञानभंडारनी नं. १२९१ पोथी सं. १४९५मां लखायेली छे, तेमां ग्रं. ६६५० जणावेल छ । बृहट्टिपनिका नामनी प्राचीन जैनग्रन्थसूची नं. १७८मां आवो उल्लेख प्रकट थयो छे"धर्मोपदेशमालावृत्तिः ११९० वर्षे मुनिदेवीया ६८००" । अने आना आधारे प्रो. वेलणकरे संकलित करेला 'जिनरत्नकोश' (पूना, भाण्डारकर ओरिएण्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित पृ. १९६) वगेरेमा एनी रचना सं. ११९०मां सूचवेली छे । वास्तविक रीते आ ग्रन्थखारे शान्तिनाथचरित सं. १३२२मां रच्यु हतं, जेनो उल्लेख अम्हे जेसलमेर-भाण्डागारीय ग्रन्थसूची(गा. ओ. सिरीझ नं. २१)मां, अप्रसिद्धग्रन्थ-ग्रन्थकृत्परिचय(पृ. ५२मां) दर्शाव्यो छे. ए शान्तिनाथचरितनुं स्मरण आ वृत्तिना प्रारम्भमां होवाथी अने तेना संशोधक समकालीन प्रसिद्ध प्रद्युम्नसूरिनुं पण स्मरण होवाथी आ वृत्तिनी रचना सं. १३२२ पछी, सं. १३२४ लगभगमां थई होवी जोईए । उपर्युक्त उल्लेख आ प्रमाणे छे "श्रीशान्तिवृत्तचैत्यस्थपतिर्धर्मोपदेशमालायाः । एतां रचयति वृत्तिं श्रीमान् मुनिदेवमुनिदेवः ॥१०॥ श्रीदेवानन्दशिष्यश्रीकनकप्रभशिष्यराट् । श्रीप्रद्युम्नश्चिरं जीयात् प्रत्यग्रग्रन्थशुद्धिकृत्" ॥११॥ आ मुनिदेवसूरिना नाममा रहेल 'मुनि' पदने भ्रान्तिथी विशेषण समजी, देवसूरि नाम होवानुं सूचन पीटर्सनना रिपोर्ट १, पृ. ४मां भूलथी कर्यु हतुं, तेनी नकल पाछळना अनेक लेखकोए करी जणाय छे । वास्तविक रीते मुनिदेवसूरि एवं नाम समजवू जोइए । विशेष माटे जुओ जे. भां. ग्रन्थसूची(अप्रसिद्ध० पृ. ५२-५३), तथा पाटणजैनमां. ग्रन्थसूची (पृ. १०९११०), अने 'कण्ह( कृष्ण) मुनि' नामनो अम्हारो पूर्वोक्त लेख । [आधारभूत उपयुक्त पुस्तिकाओनो परिचय ।] धर्मोपदेशमालानी जयसिंहसूरिना विवरण साथेनी नीचे जणावेली ४ प्राचीन पोथीओनो उपयोग अम्हे आ ग्रन्थना संशोधन-सम्पादनमां को छे, पाठान्तरो दर्शावतां त्यां त्यां ह., क., ज., प. एवी संज्ञाओथी सूचवी छे, तेनो परिचय अहीं आपवामां आवे छे– [१] ह. आ संज्ञाथी सूचवेली पोथी हंसविजयजी मुनिराजना शास्त्रसंग्रहनी, वडोदराना आत्मारामजी जैनज्ञानमन्दिरमांनी छे. ते ताडपत्रीय पोथी १०७ पत्रनी, अंतमां थोडी अपूर्ण छे. प्रकाशित पृ. २१२मां सूचवेला भाग सुधीनी छे, पडीमात्रामां मनोहर मध्यम अक्षरोमां लखायेली थोडी अशुद्ध छे, किनारो पर केटलेक स्थळे सुधारेल छ । १०३ पत्रनी बीजी बाजू, तथा १०४ पत्रनी पहेली बाजूना अक्षरो घसाई झांखा पडी गएला होइ कष्टथी वंचाय तेवा छे. mala-t.pm5 2nd proof
SR No.009624
Book TitleDharmopadeshmala prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysinhsuri, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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