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परिशिष्टम्
[२] धर्मोपदेशमालाविवरणगतोद्धृतप्राकृतगाथानामकाराद्यनुक्रमः॥
उद्धरणांशः
ग्रन्थनाम
पृष्टङ्का
अचिलुग्गए वि सुरिए अच्छिनिमीलणमित्तं अद्धद्धं अहिवइणो अप्पा चेव दमेयव्वो अभितरया खुहिया असुइमसारमणेच्चं अहं च भोगिरायस्स अंकुसेण जहा नागो
[अ] [उ.नि./१३५] [आरा./८४६] [ ] [उव./१८५] [उ.नि./१३३]
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[द.वै./अ.२/८] [उ.२२/४६] [आ]
आणंद अंसुवायं आयप्पवायपुव्वा
२०८ २०८
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[इ]
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इह खलु भो ! पव्वइएणं इह लोए अत्थकामा इंदियलद्धीनेवत्तणा य
२४३
[s]
१७
ईसा-विसय-भय-कोह ईसाविसायमयकोह
२०५
उवरोह-सीलयाए
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