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खेस अथवा रुमाल एक ही हाथ से मुँह पर रखकर केसरपूजा, पुष्पपूजा करने से अथवा प्रभुजी को स्पर्श करने से दोष लगता है। मुखकोश बांधकर ही चन्दन घिसा जाता है, पूजा की जाती है, आंगी की जाती है तथा प्रभुजी का खोखा, मुकुट आदि परआंगी की जाती है।
चन्दन घिसते की विधि कपूर-केसर-अंबर-कस्तूरी आदि घिसने योग्य द्रव्य साफ हाथों से स्वच्छ कटोरी में निकाल लेने चाहिए । सुखड को पानी से धोना चाहिए। अष्टपड मुखकोश बांधने के बाद ओरसिया का स्पर्श करना चाहिए तथा शद्ध जल एक स्वच्छ कटोरी में लेना चाहिए। ओरसिया स्वच्छ हो जाए, उसके बाद कपूर में पानी मिलाकर सुखड को ओरसिया पर घिसना चाहिए और घिसा हुआ चन्दन ले लेना चाहिए। उसके बाद केशर आदि में पानी का मिश्रण कर सुखड घिसना चाहिए तथा तैयार केशर को स्वच्छ हथेली से कटोरी में ले लेना चाहिए। केसर-चन्दन कटोरी में लेते समय तथा घिसते समय शरीर
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