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मंदिर मे प्रभुजी की सेवा-पूजा - दर्शन करने जाते समय पाँच प्रकार के अभिगम (विनय ) का तथा दश त्रिक का पालन करना चाहिए ।
पाँच प्रकार के अभिगम (विनय )
:
१. सचित्त त्याग प्रभुभक्ति में उपयोग में न आए, ऐसी खाने-पीने की सचित्त वस्तुओं का त्याग ।
२. अचित्त अत्याग : निर्जीव वस्त्र-अलंकार आदि तथा प्रभुभक्ति में उपयोगी वस्तुओं का त्याग नहीं
करना ।
३. उत्तरासन
४. अंजलि
५. एकाग्रता
: दोनों छोर सहित एक परत वाला स्वच्छ चादर धारण करना चाहिए ।
: प्रभुजी के दर्शन होते ही दोनों हाथों को जोड़कर अंजलि करनी चाहिए ।
: मन की एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए ।
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