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को वधाया जाता है। वधाने के लिए उपरोक्त मँहगी सामग्री लाना सम्भव न हो तो चांदी अथवा सोने के रंग का वरख चढाए हुए कमल के आकार के फूल तथा सच्चे मोती व चावल से वधाया जा सकता है। साथिया आदि के चावल में से (पाटला पर से) चावल लेकर नहीं वधाया जा सकता है।
दोनों हाथों में वधाने योग्य इस तरह प्रभुजी को सामग्री लेकर बोलने योग्य बधाया जाता है। भाववाही दोहे: • "श्री पार्श्व पंचकल्याणक पूजा के गीत". "उत्सव रंग वधामणां, प्रभु पार्श्वने नामे ॥ कल्याण उत्सव कियो, चढ़ते परिणामे, शत वर्षायु जीवीने अक्षय सुख स्वामी ॥
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