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अन्त में जमीन पर घुटनों को रखकर दाहिने हाथ की हथेली की मुट्ठी बनाकर "प्रभुभक्ति करते हुए यदि कोई भी अविधि-अशातना हुई हो, उन सब के लिए मैं मन-वचनकाया से मिच्छा मि दुक्कडं मांगता हूँ," ऐसा अवश्य बोलना चाहिए। चैत्यवन्दन पूर्ण होने के बाद पाटला पररखी हुई सारी सामग्री तथा पाटला को योग्य स्थान पर स्वयं व्यवस्थित रख देना चाहिए।
प्रभुजी को वधाने की विधि चैत्यवन्दन स्वरूप भावपूजा की समाप्ति होने के बाद सोनाचांदी-हीरा-माणेक-मोती आदि से प्रभुजी के दोनों हाथों
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