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त्रिमंत्र
त्रिमंत्र
दादाश्री : बुद्धि भी भीतर ऐसे दखल देती रहती है, इसलिए हम कहते हैं कि ऊँची आवाज़ में बोलना चाहिए। और एकांत में जायें तब उतनी ऊँची आवाज़ में बोलना कि जैसे आकाश उड़ा देना हो, ऐसे बोलना। क्योंकि ऊँची आवाज़ में बोलने से भीतर सब (सारा अंत:करण) बंद हो जाता है।
मंत्र से नहीं होता आत्मज्ञान प्रश्नकर्ता : गुरु के दिए मंत्र-जाप करने से क्या आत्मज्ञान जल्दी होता है?
दादाश्री : नहीं। संसार में अड़चनें कम होंगी पर ये तीन मंत्र (त्रिमंत्र) साथ में बोलोगे तो।
प्रश्नकर्ता : तो ये मंत्र अज्ञानता दूर करने के लिए ही हैं न?
दादाश्री : नहीं, त्रिमंत्र तो आपकी संसार की अड़चनें दूर करने के लिए हैं। अज्ञानता दूर करने के लिए मैंने जो आत्मज्ञान आपको दिया है (ज्ञानविधि द्वारा) वह है।
त्रिमंत्र से, सूली का घाव सूई से सरे ज्ञानी पुरुष बिना काम की मेहनत में नहीं उतारते। कम से कम मेहनत करवाते हैं। इसलिए आपको ये त्रिमंत्र सुबह-शाम पाँच-पाँच बार बोलने को कहा है।
ये मंत्र क्यों बोलने लायक है क्योंकि इस ज्ञान के बाद आप तो शुद्धात्मा हुए पर पड़ोसी कौन रहा? चंदुभाई (पाठक चंदूभाई की जगह स्वयं को समझे)। अब चंदुभाई को कोई अड़चन आये तब हम कहते हैं कि, 'चंदुभाई, एकाध बार यह त्रिमंत्र बोलिए न, कोई अड़चन आती हो तो इससे कम हो जाएगी।' क्योंकि वे हरएक प्रकार के संसार व्यवहार में हैं। उनको लक्ष्मी, लेन-देन सबकुछ है। इसलिए त्रिमंत्र बोलने पर आनेवाली अड़चनें कम हो जाती हैं। फिर अड़चनें अपना
नैमित्तिक प्रभाव दिखायेंगी मगर इतना बड़ा पत्थर लगनेवाला हो वह कंकड़ समान लगे। इसलिए यह त्रिमंत्र दिया है।
कोई विघ्न आनेवाला हो तो यह त्रिमंत्र आधा घण्टा, एक घण्टा बोलना। सारा गुणस्थान पूर्ण कर देना (एक गुणस्थान अड़तालीस मिनट का होता है)। वर्ना रोजाना यह पाँच बार बोलना। पर ये सभी मंत्र साथ बोलना और सच्चिदानंद भी बोलना। सच्चिदानंद में सभी लोगों का मंत्र आ जाता है।
त्रिमंत्र का रहस्य यह है कि आपकी सारी सांसारिक अड़चनों का नाश होगा। आप रोजाना सवेरे बोलेंगे तो संसार की सारी अड़चनों का नाश होगा। आपको बोलने के लिए पुस्तक चाहिए तो एक पुस्तक देता हूँ। उसमें यह त्रिमंत्र लिखा है। वह पुस्तक यहाँ से ले जाना।
प्रश्नकर्ता : इन त्रिमंत्रों से चक्र शीघ्रता से चलने लगेंगे?
दादाश्री : इन त्रिमंत्रो को बोलने से दूसरे नये पाप नहीं बँधते, इधर-उधर उलटे रास्ते पर भटक नहीं जाते और पुराने कर्म पूरे होते जाते हैं।
यह त्रिमंत्र तो ऐसा है न कि नासमझ बोले तो भी फायदा होगा और समझदार बोले तो भी फायदा होगा। पर समझदार को अधिक फायदा होगा और नासमझ को मुँह से बोला उतना ही फायदा होगा। एक केवल यह टेपरेकर्ड (मशीन) बोलता है न, उसे फायदा नहीं होगा। पर जिसमें आत्मा है, वह बोलेगा तो उसे फायदा होगा ही।
___ यह जगत शब्द से ही खड़ा हुआ है। अच्छे मनुष्य का शब्द बोलने पर आपका कल्याण हो जायेगा और बुरे मनुष्य का शब्द बोलने पर उलटा हो जायेगा। इसलिए ही यह सब समझना है।
लक्ष्य तो चाहिए मोक्ष का ही कुछ पूछना चाहें तो पूछना, हं। मोक्ष में जाना है न? यहाँ पर