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त्रिमंत्र
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त्रिमंत्र
यह नवकार पहुँचता है। हाँ, लोग नवकार मंत्र बोलते हैं न, उसकी जिम्मेवारी आपके सिर पर आती है। क्योंकि आप भी नवकार में आ गये। आत्मदशा साधे वह साधु। __उसके बाद आप धीरे धीरे थोड़ा-थोड़ा खुद समझने लगें और थोड़ा-थोड़ा दूसरों को समझा सकें, ऐसा हुआ अर्थात् आप साधु से आगे हो गयें। तब से उपाध्याय होने लगे। और आचार्यपद इस काल में जल्दी मिले ऐसा नहीं है, हमारे जाने के बाद निकलेगा वह बात अलग है।
नवकार का माहात्म्य "ऐसो पंच नमुक्कारो' अर्थात् यह जो ऊपर बताये गये उन पाँचो को नमस्कार करता हूँ।
'सव्व पावप्पणासणो' अर्थात् यह सभी पापों का नाश करनेवाला है। इसे बोलने से सारे पाप भस्मीभूत हो जाते हैं।
'मंगलाणं च सव्वेसिं' अर्थात् सभी मंगलों में...
'पढम हवई मंगलम्' अर्थात् यह प्रथम मंगल है। इस दुनिया में जो सारे मंगल हैं, उन सभी में सर्व प्रथम मंगल यह है, सबसे बड़ा मंगल यह है, ऐसा कहना चाहते हैं।
बोलिए अब, हमें इसे छोड़ देना चाहिए क्या? पक्षपात के खातिर छोड़ देना चाहिए? भगवान निष्पक्षपात होंगे कि पक्षपाती होंगे?
प्रश्नकर्ता : निष्पक्षपात।
दादाश्री : इसलिए हम, भगवान जैसे कहते हैं वैसे उनके निष्पक्षपात मंत्रों को भो।
त्रिमंत्र से पीड़ा हलकी हो जाये प्रश्नकर्ता : त्रिमंत्र में सव्व पावप्पणासणो आता है। यह सारे
पापों का नाश करनेवाला है, तो फिर बिना भुगते वे नष्ट हो जाते हैं?
दादाश्री : वह भुगतना तो होगा। ऐसा है न, आप यहाँ पर मेरे साथ चार दिन रहे हों, तो आपका कर्मों का भुगतना तो रहेगा पर वह भुगतना मेरी हाज़िरी में हलका हो जायेगा। ऐसे त्रिमंत्र की हाजिरी से भुगतने में बहुत फर्क पड़ जाता है। फिर वह आपको ज्यादा असर नहीं करेगा।
अभी एक आदमी को जिसे ज्ञान नहीं है, उसे चार दिन के लिए जेल में भेजें तो उसे कितनी भारी अकुलाहट होगी? और ज्ञानवाले को जेल भेजने पर ? उसकी वज़ह क्या कि भुगतना तो वही का वही है पर वह अंदर असर नहीं करता।
व्यवस्थित में होने पर ही जप पायें प्रश्नकर्ता : आप कहते हैं कि त्रिमंत्र हमारी सारी अड़चनें दूर कर देता है। आप यह भी कहते हैं कि सब 'व्यवस्थित' ही है, तब फिर त्रिमंत्र में शक्ति कहाँ से आई?
दादाश्री : व्यवस्थित यानी क्या कि यदि अड़चन दूर नहीं होनेवाली हो तो तब तक हमारे से त्रिमंत्र नहीं बोले जाते ऐसा 'व्यवस्थित' है समझ लेना।
प्रश्नकर्ता : पर त्रिमंत्र बोलने पर भी अड़चन दूर नहीं हो तो क्या समझना चाहिए?
दादाश्री : वह अड़चन कितनी बड़ी थी और कितनी कम हो गई, वह आपको मालूम नहीं पड़ता लेकिन हमें उसकी ख़बर होती है।
नवकार अर्थात् नमस्कार प्रश्नकर्ता : कुछ लोग 'नमो लोए सव्वसाहूणं' तक ही बोलते हैं और कुछ लोग 'एसो पंच नमुक्कारो' और आखिर तक बोलते हैं। दोनों में से कौन-सा सही है?