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________________ २३ २४ सत्य-असत्य के रहस्य हों न, वैसे-वैसे ऐश्वर्य उत्पन्न होता है। ऐश्वर्य मतलब क्या कि हरएक वस्तु उसे घर बैठे मिले। उसका विश्वास कौन करे? दादाश्री : झूठ कभी बोलता है? प्रश्नकर्ता : बोलता हूँ। दादाश्री : काफ़ी बोलता है! प्रश्नकर्ता : नहीं, कम बोलता हूँ। दादाश्री : कम बोलता है। झूठ बोलने से क्या नुकसान होता होगा? विश्वास ही उठ जाता है अपने ऊपर से। विश्वास बैठता ही नहीं न! प्रश्नकर्ता : सामनेवाले को पता नहीं चलता, ऐसा समझकर बोलते हैं। सत्य-असत्य के रहस्य करने का, तो उसके अंदर का आत्मा कभी उसे सिग्नल देता होगा या नहीं देता होगा? दादाश्री : एक-दो बार चोरी के सिग्नल देता है। आत्मा तो फिर बीच में पड़ता नहीं है इसमें। एक-दो बार सिग्नल भीतर से मिलते हैं कि 'नहीं करने जैसा है।' परन्तु पार कर जाए तो फिर कुछ भी नहीं। एक बार पार किया इसलिए वह सिग्नल शक्ति चली गई। ये सिग्नल पड़ा हो और गाड़ी पार करे तो सिग्नल की शक्ति चली गई। सिग्नल नहीं गिरा हो और पार करे वह बात अलग है। प्रश्नकर्ता : सच्चे मनुष्य का हमेशा शोषण होता है और जो गलत मनुष्य हैं, वे गुंडागर्दी या गलत काम ही करते हैं, वे मौज-मज़े करते हैं, किसलिए? दादाश्री : सच्चे मनुष्य तो जेब काटने जाते हैं न, तब तुरन्त ही पकड़े जाते हैं। और गलत व्यक्ति तो पूरी ज़िन्दगी करे तब भी पकड़ा नहीं जाता, मुआ। कुदरत मदद करती है उसे, और सच्चे मनुष्य की मदद नहीं करती, उसे पकड़वा देती है! उसका क्या कारण लगता है? प्रश्नकर्ता : क्योंकि उससे गलत होता नहीं है इसलिए। दादाश्री : ना, कुदरत की इच्छा ऐसी है कि उसे ऊँची गति में ले जाना है, इसलिए उसे पहले से ही ठोकर मारकर ठिकाने पर रखती है। और दूसरेवाले को नीची गति में ले जाना है। इसलिए उसकी मदद करती है। आपको समझ नहीं आया? खुलासा हुआ या नहीं? हो गया तब! पुण्य-पाप, वहाँ इस तरह बँटते हैं प्रश्नकर्ता : कितने ही झूठ बोलें तो भी सत्य में खप जाता है और कितने सच बोलें तो भी झूठ में खप जाता है। वह क्या पजल है?! दादाश्री : वह उसके पाप और पुण्य के आधार पर होता है। उसके पाप का उदय हो तब वह सच्चा बोले तो भी झठ में जाता है. जब कि पुण्य का उदय हो तब झूठ बोले तो भी लोग उसे सच्चा स्वीकारते हैं, दादाश्री : हाँ, ऐसा बोलते हैं, पर विश्वास उठ जाता है। एक बार तुझे बोरीवली स्टेशन पर भेजा हो. और तेरा दोस्त मिला और बैठ गया, गप्प लगाने लगा। तुझे कहा हो कि तू जा, दादा को देख आ, आए या नहीं, पाँच बजे आनेवाले थे, तब तू आकर कहे, कि ये दादा तो आए नहीं लगते हैं। पर सत्संग में यदि मैं आया हआ होऊँ और वह सबको पता चल जाए तो फिर विश्वास उठ जाएगा। विश्वास उठ गया मतलब मनुष्य की कीमत खतम। हम झूठ बोलते हैं, कोई अपने पास झूठ बोले तो हमें समझ जाना चाहिए कि यह व्यक्ति इतना झूठ बोलता है, तो मुझे इतना दु:ख होता है तो मैं किसीके पास झूठ बोलूँ तो उसे कितना दु:ख होगा? वह समझ में आता है न? या नहीं समझ आता? ___... तो सिग्नल शक्ति चली जाती है प्रश्नकर्ता : यह जो व्यापार करते हैं लोग, जेब काटने का या चोरी
SR No.009602
Book TitleSatya Asatya Ke Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size212 KB
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