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प्रतिक्रमण
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दादाश्री : ऐसा क्लेश नहीं रखने का फिर बाद में एक दिन बैठ कर सभी का साथ में प्रतिक्रमण कर डालना। जिस-जिस के हो, जानपहचानवालों के, जिसके साथ ज्यादा अतिक्रमण होता हो, उनके नाम दे कर एक घंटा कर डाला तो फिर सब उड़ जायेगा। लेकिन हमें ऐसा बोझ रखने की जरूरत नहीं है।
यह अपूर्व बात है, पहले सुनी न हो, पढ़ी न हो, जानी न हो, ऐसी बातें जानने के लिए यह परिश्रम है।
हम यहाँ प्रतिक्रमण करवाने के लिए बिठाते हैं उसके बाद क्या होता है? भीतर दो घंटे प्रतिक्रमण करवातें हैं न कि बचपन से लेकर आज तक जो जो दोष हुए हो उन सभी को याद करके प्रतिक्रमण कर डालिए, सामनेवाले के शुद्धात्मा को देखकर ऐसा कहे। अब छोटी उम्र से जब से समझशक्ति की शुरूआत होती है, तब से ही प्रतिक्रमण करने लगे, तो अब तक के प्रतिक्रमण करें। ऐसा प्रतिक्रमण करने पर उसके सभी दोषों का बड़ा हिस्सा आ जाये। फिर दूसरी बार प्रतिक्रमण करे। तब फिर छोटेछोटे दोष भी आ जायेंगे। बाद में फिर से प्रतिक्रमण करने पर उससे भी छोटे दोष आ जायेंगे, ऐसे उन दोषों का पूरा का पूरा हिस्सा ही खतम कर डालें।
दो घंटे के प्रतिक्रमण में सारी जिन्दगी के पिछले चिपके दोषों को धो डालना, और फिर कभी ऐसे दोष नहीं करूँगा ऐसा तय करना । अर्थात् हो गया प्रत्याख्यान |
यह आप प्रतिक्रमण करने बैठे न, तब अमृत के बिंदु टपकने लगें एक ओर, और हलकापन महसूस होने लगे। भैया, तुम्हारे से प्रतिक्रमण होते है? तब हलकापन महसूस होता है? क्या तुम्हारा प्रतिक्रमण करना शुरू हो गया है? पूरे जोर से प्रतिक्रमण चल रहे हैं? सभी दोष खोज, खोज, खोजकर प्रतिक्रमण कर डालना। खोज करने लगोगे तो बहुत कुछ याद आता जायेगा। आठ साल पहले किसी को लात मारी हो वह भी दिखाई देगा। तब रास्ता भी नजर आयेगा, लातें भी दिखाई पड़ेगी। यह सब याद
प्रतिक्रमण
कैसे आया? ऐसे तो याद करने पर कुछ याद नहीं आयेगा और प्रतिक्रमण करने लगे कि तुरन्त लिंकवार (क्रमानुसार) याद आ जायेगा । आपने बार सारी जिन्दगी का किया था?
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प्रश्नकर्ता किया था।
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दादाश्री : अभी मूल भूल समझ में आयेगी, तब और आनंद होगा। प्रतिक्रमण से यदि आनंद नहीं होता तो प्रतिक्रमण करना नहीं आया। अतिक्रमण से यदि दुःख नहीं होता तो वह मनुष्य, मनुष्य नहीं है।
पहले तो भूल ही नज़र नहीं आती थी। अब नज़र आती है वह स्थूल नज़र आती है। अभी तो आगे दिखेगा। प्रश्नकर्ता: सूक्ष्म, सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम ...
दादाश्री : जागृति से सारी भूलें दिखाई देगी।
जब आप सारी जिन्दगी के प्रतिक्रमण करते हैं, तब आप ना ही तो मोक्ष में या ना ही संसार में होते हैं। प्रतिक्रमण के समय वैसे तो आप पिछले सभी का विवरण करतें हैं। मन-बुद्धि-चित्त और अहंकार सभी की फोन लाइनें ठप्प होती हैं। अंत:करण बंद होता है। उस वक्त मात्र प्रज्ञा ही अकेली काम पर होती है। आत्मा का भी इसमें कुछ काम नहीं होता । दोष होने के पश्चात् ढँक जाता है। फिर दूसरा लेयर (परत) आये। ऐसे लेयर पर लेयर आते जायें, और मृत्यु समय अंतिम एक घंटे में इन सभी का लेखा-जोखा आये।
भूतकालीन सारे दोष वर्तमान में दिखाई दे वह 'ज्ञानप्रकाश' है; वह मेमरी (स्मृति) नहीं है।
प्रश्नकर्ता: प्रतिक्रमण से आत्मा पर इफेक्ट होगा क्या?
दादाश्री : मूल आत्मा पर तो कोई भी इफेक्ट (असर) होगा ही नहीं (व्यवहार आत्मा को असर होता है)। यह तो आत्मा है, जो हंड्रेड परसेन्ट डीसाईडेड (शत प्रतिशत निश्चित) है जहाँ मेमरी (याददास्त नहीं