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________________ प्रतिक्रमण विधि प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में देहधारी के मन-वचन काया के योग, भावकर्मद्रव्यकर्म - नोकर्म से भिन्न ऐसे हे शुद्धात्मा भगवान, आपकी साक्षी में आज दिन तक जो जो ....' ** हुए है, उसके लिए क्षमा माँगता हूँ, हृदयपूर्वक पश्चाताप करता हूँ । आलोचना, प्रतिक्रमण प्रत्याख्यान करता हूँ और ऐसे दोष फिर से कभी भी न करूँ ऐसा दृढ निश्चय करता हूँ। मुझे क्षमा करो, क्षमा करो, क्षमा करो। दोष * हे दादा भगवान ! मुझे ऐसा कोई भी दोष न करने की परम शक्ति दो, शक्ति दो, शक्ति दो। • जिसके प्रति दोष हुआ हो, उस व्यक्ति का नाम लेना। ** जो जो दोष हुए हो, वे सारे दोष मन में जाहिर करना। [ आप शुद्धात्मा है और जो दोष करता है, उसके पास प्रतिक्रमण करवाना है। चन्दुभाई (पाठक चन्द्रभाई की जगह खुद का नाम समझे) के पास दोषों का प्रतिक्रमण करवाना है ]। ISBN 978-81-89933-07-4 9788189 933074 दादा भगवान प्ररूपित प्रतिक्रमण
SR No.009599
Book TitlePratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2007
Total Pages57
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size39 KB
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