________________
ऊपरी
कल्प
गोठवणी
नोंध
नियाणां
धौल
सिलक
तायफ़ा
उपलक
कढ़ापा
अजंपा
राजीपा
सिलक
पोतापणुं
लागणी
उपाधि
च्यवन
वैक्रियिक
लूंटबाजी
मूल गुजराती शब्दों के समानार्थी शब्द
: बॉस, वरिष्ठ मालिक
: कालचक्र
: सेटिंग, प्रबंध, व्यवस्था
: अत्यंत राग अथवा द्वेष सहित लम्बे समय तक याद रखना, नोट करना
: अपना सारा पुण्य लगाकर किसी एक वस्तु की कामना करना
: हथेली से मारना
: राहखर्च, पूँजी
: फज़ीता
: सतही, ऊपर ऊपर से, सुपरफ्लुअस
: कुढ़न, क्लेश
: बेचैनी, अशांति, घबराहट
गुरजनों की कृपा और प्रसन्नता
: जमापूंजी
: मैं हूँ और मेरा है, ऐसा आरोपण, मेरापन
: भावुकतावाला प्रेम, लगाव
: (बाहर से आनेवाला दु:ख)
:
( आत्मा की दैवीय शरीर छोड़ने की क्रिया)
: (देवताओं का अतिशय हल्के परमाणुओं से बना हुआ
शरीर जो कोई भी रूप धारण कर सकता है )
: छीना-झपटी
शुद्धात्मा के प्रति प्रार्थना
(प्रतिदिन एक बार बोलें)
अंतर्यामी परमात्मा ! आप प्रत्येक जीवमात्र में बिराजमान हो, वैसे ही मुझ में भी बिराजमान हो। आपका स्वरूप ही मेरा स्वरूप है। मेरा स्वरूप शुद्धात्मा है।
हे शुद्धात्मा भगवान ! मैं आपको अभेद भाव से अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ।
अज्ञानतावश मैंने जो जो ★★ दोष किये हैं, उन सभी दोषों को आपके समक्ष जाहिर करता हूँ। उनका हृदयपूर्वक बहुत पश्चाताप करता हूँ और आपसे क्षमा याचना करता हूँ। हे प्रभु! मुझे क्षमा करो, क्षमा करो, क्षमा करो और फिर से ऐसे दोष नहीं करूँ, ऐसी आप मुझे शक्ति दो, शक्ति दो, शक्ति दो।
हे शुद्धात्मा भगवान ! आप ऐसी कृपा करो कि हमें भेदभाव छूट जाये और अभेद स्वरूप प्राप्त हो। हम आप में अभेद स्वरूप से तन्मयाकार रहें। ★★ जो जो दोष हुए हों, वे मन में ज़ाहिर करें।
प्रतिक्रमण विधि
प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में, देहधारी (जिसके प्रति दोष हुआ हो, उस व्यक्ति का नाम) के मन-वचन-काया के योग, भावकर्म-द्रव्यकर्मनोर्म से भिन्न ऐसे हे शुद्धात्मा भगवान, आपकी साक्षी में, आज दिन तक मुझसे जो जो ★★ दोष हुए हैं, उसके लिए क्षमा माँगता हूँ। हृदयपूर्वक बहुत पश्चाताप करता हूँ। मुझे क्षमा करें। और फिर से ऐसे दोष कभी भी नहीं करूँ, ऐसा दृढ़ निश्चय करता हूँ। उसके लिए मुझे परम शक्ति दीजिए, शक्ति दीजिए, शक्ति दीजिए।
★★ क्रोध - मान-माया-लोभ, विषय-विकार, कषाय आदि से किसी को भी दुःख पहुँचाया हो, उस दोषो को मन में याद करें।