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क्रोध
अलग है। बच्चे को सुधारने के लिए, चोरी करता हो, दूसरा कुछ उल्टासीधा करता हो, उसके लिए हम लड़के को डाँटे, क्रोध करें उसका फल भगवान ने पुण्य कहा है। भगवान कितने सयाने है !
क्रोध टालें ऐसे
प्रश्नकर्ता: हम क्रोध किसके ऊपर करते हैं ? खास करके ऑफिस में सेक्रेटरी के ऊपर क्रोध नहीं करते और अस्पताल में नर्स के ऊपर नहीं करते, पर घर में वाईफ के ऊपर हम क्रोध करते हैं।
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दादाश्री : इसलिए तो जब सौ लोग बैठे हों और सुन रहे हों, तब सब से कहता हूँ कि ओफिस में बॉस (मालिक) धमकाता हो या कोई डाँटता हो, तो उन सबका क्रोध लोग घर में बीवी पर निकालते हैं। इसलिए मुझे कहना पड़ता है कि, मुए, बीवी से क्यों लड़ते हो, बेचारी से ! बिना वजह बीवी को डाँटते हो ! बाहर कोई धमकाये उनसे लड़ो न, यहाँ क्यों लड़ते हो बेचारी से?
एक भाईसाहब थे, वे हमारे जान-पहचानवाले थे। वे मुझे हमेशा कहते थे कि, "साहिब, एक बार मेरे यहाँ पधारिये!" मकान बाँधने का काम करता था। एक बार मैं वहाँ से गुज़र रहा था तब मुझे मिल गया और बोला, "मेरे घर चलिए, थोड़ी देर के लिए।" तब मैं उसके घर गया। वहाँ मैं ने पूछा, “अरे, दो रूम में तुझे अनुकूल रहता है?" तो वह कहने लगा, "मैं तो मेमार कहलाऊँ न!" यह तो हमारे जमाने की, अच्छे समय की बात करता हूँ। अभी तो एक रूम में रहना पड़ता है, पर अच्छे जमाने में भी बेचारे के दो ही रूम थे ! फिर मैं ने पूछा, "क्या बीवी तुझे परेशान नहीं करती ?" तब कहने लगा, “बीवी को क्रोध आ जाये पर मैं क्रोध नहीं करता हूँ" मैं ने पूछा, "ऐसा क्यों?” तब कहें, “तब तो फिर वह क्रोध करे और मैं भी क्रोध करूँ, फिर इन दो रूमों में, मैं कहाँ सोऊँ और वो कहाँ सोये ?!" वह उस ओर मुँह करके सो जाये और मैं भी इस ओर मुँह करके सो जाऊँ, ऐसी हालत में तो मुझे सुबह
क्रोध
चाय भी अच्छी नहीं मिलेगी। वही मुझे सुख देनेवाली है। उसकी वज़ह से ही मैं सुखी हूँ। मैं ने पूछा, "बीवी कभी क्रोध करे तो?" तब कहे, "उसे मना लेता हूँ। 'यार, जाने दे न, मेरी हालत मैं ही जानता हूँ, ' ऐसा वैसा करके उसे मना लेता हूँ। पर उसे खुश रखता हूँ। बाहर मारपीट करके आऊँ पर घर में उससे मारपीट नहीं करता।" और हमारे लोग बाहर मार खाकर आयें और घर में मारपीट करते हैं ।
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यह तो सारा दिन क्रोध करते हैं। गायें भैंसे अच्छी कि क्रोध तो नहीं करती। जीवन में कुछ शांति तो होनी चाहिए न ! कमज़ोरीवाला तो नहीं होना चाहिए। यह तो क्रोध हर घड़ी हो जाता है। आप गाड़ी में आये न, तब गाड़ी सारे रास्ते पर क्रोध किया करे तो क्या होगा ?
प्रश्नकर्ता: तो यहाँ आ ही नहीं सकते।
दादाश्री : तब आप यह क्रोध करते हैं तो उसकी गाड़ी किस तरह चलती होगी? तू तो क्रोध नहीं करती?
प्रश्नकर्ता: कभी-कभी हो जाता है।
दादाश्री : और यदि दोनों को होता हो, फिर बाकी क्या रहा ? प्रश्नकर्ता : पति-पत्नी के बीच थोड़ा-बहुत क्रोध तो होना ही चाहिए न ?
दादाश्री : नहीं। ऐसा कोई कानून नहीं है। पति-पत्नी के बीच में तो बहुत शांति रहनी चाहिए। यदि दुःख हो तो वे पति - पत्नी ही नहीं कहलाये। सच्ची फ्रेन्डशिप में दुःख नहीं होता, तब यह तो सब से बड़ी फ्रेन्डशिप कहलाये !! यहाँ क्रोध नहीं होना चाहिए। यह तो लोगों ने जबरदस्ती से दिलों में बीठा दिया है, खुद को होता है इसलिए कहने लगे की कानून ऐसा ही है। पति-पत्नी के दरमियान तो बिलकुल दुःख नहीं होना चाहिए, भले ही और जगह हो जाये ।