________________
९. मनुष्यपन की कीमत
क़ीमत तो, सिन्सियारिटी और मॉरालिटी की
पूरे जगत् का 'बेसमेन्ट' 'सिन्सियारिटी' और 'मॉरालिटी' दो पर ही है। वे दोनों सड़ जाएँ तो सब गिर जाता है। इस काल में 'सिन्सियारिटी' और 'मॉरालिटी' हों, वह तो बहुत बड़ा धन कहलाता है। हिन्दुस्तान में वह धन ढेरों था, पर अब इन लोगों ने वह सब फ़ॉरेन में एक्सपोर्ट कर दिया है, और फ़ॉरेन से बदले में क्या इम्पोर्ट किया, वह आप जानते हो? वे ये एटिकेट के भूत घुस गएँ! उसके कारण ही इन बेचारों को चैन नहीं रहता। हमें उसे एटिकेट के भूत की क्या ज़रूरत है? जिनमें नूर नहीं हैं, उनके लिए वह है। हम तो तीर्थकरी नूरवाले लोग हैं, ऋषिमुनिओं की संतान हैं ! तेरे फटे हुए कपड़े हों, फिर भी तेरा नूर तुझे कह देगा कि 'तू कौन है?'
प्रश्नकर्ता : 'सिन्सियारिटी' और 'मॉरालिटी' का एक्जेक्ट अर्थ समझाइए।
दादाश्री : 'मॉरालिटी' का अर्थ क्या है? खद के हक़ का और सहज मिल आए, वह सभी भोगने की छट है। यह सबसे अंतिम मॉरालिटी का अर्थ है। मॉरालिटी तो बहुत गूढ़ है, उस पर तो शास्त्र के शास्त्र लिखे जा सकते हैं। पर इस अंतिम अर्थ पर से आप समझ जाओ।
और 'सिन्सियारिटी' तो जो मनुष्य दूसरों के प्रति 'सिन्सियर' रहता नहीं, वह खुद अपने लिए 'सिन्सियर' रहता नहीं। किसी को थोड़ा भी 'इनसिन्सियर' नहीं होना चाहिए, उससे खुद की 'सिन्सियारिटी' टूटती है।
'सिन्सियारिटी' और 'मॉरालिटी' - ये दो वस्तुएँ इस काल में हों
१४६
क्लेश रहित जीवन तो बहुत हो गया। अरे! एक हो फिर भी वह ठेठ मोक्ष तक ले जाए। परन्तु उसे पकड़ लेना चाहिए। और 'ज्ञानी पुरुष' के पास, जब-जब अड़चन पड़े तब आकर खुलासा कर जाना चाहिए कि यह 'मॉरालिटी' है या यह 'मॉरालिटी' नहीं है। ___'ज्ञानी पुरुष का राजीपा' और खुद की 'सिन्सियारिटी' इन दोनों के गुणा से सारे कार्य सफल हों, ऐसा है।
'इनसिन्सियारिटी' से भी मोक्ष कोई बीस प्रतिशत 'सिन्सियारिटी' और अस्सी प्रतिशत 'इनसिन्सियारिटी'वाला मेरे पास आए और पूछे कि 'मुझे मोक्ष में जाना है
और मुझमें तो यह माल है तो क्या करना चाहिए?' तब मैं उसे कहूँ कि, 'सौ प्रतिशत 'इनसिन्सियर' हो जा, फिर मैं तझे दुसरा रास्ता दिखाऊँ कि जो तुझे मोक्ष में ले जाएगा।' यह अस्सी प्रतिशत का कर्ज उसकी कब भरपाई करेगा? इससे तो एक बार दिवाला निकाल दे। 'ज्ञानी पुरुष' का एक ही वाक्य पकड़े तब भी वह मोक्ष में जाए। पूरे 'वर्ल्ड' के साथ 'इनसिन्सियर' रहा होगा उसका मुझे एतराज नहीं है, पर एक यहाँ 'सिन्सियर' रहा तो वह तुझे मोक्ष में ले जाएगा! सौ प्रतिशत 'इनसिन्सियारिटी' वह भी एक बड़ा गुण है, वह मोक्ष में ले जाएगा, क्योंकि भगवान का संपूर्ण विरोधी हो गया। भगवान के संपूर्ण विरोधी को मोक्ष में ले जाए बिना छुटकारा ही नहीं! या तो भगवान का भक्त मोक्ष में जाता है या तो भगवान का संपूर्ण विरोधी मोक्ष में जाता है ! इसीलिए मैं नादार को तो दिखाता हूँ कि सौ प्रतिशत 'इनसिन्सियर' हो जा, फिर मैं तुझे दूसरा दिखाऊँगा, जो तुझे ठेठ मोक्ष तक ले जाएगा। दूसरा पकड़ाऊँ तभी काम होगा।