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क्लेश रहित जीवन
५. समझ से सोहे गृहसंसार
१०३ ने शादी की है उन्हें प्रोब्लेम खड़े हुए बगैर रहते नहीं।
कर्म के उदय से झगड़े चलते रहते हैं, मगर जीभ से उल्टा बोलना बंद करो। बात पेट की पेट में ही रखो, घर में या बाहर बोलना बंद कर
प्रश्नकर्ता : तो फिर कुछ कहना ही नहीं चाहिए?
दादाश्री : कहो, पर सम्यक् कहना, यदि बोलना आए तो। नहीं तो कत्ते की तरह भौंकते रहने का अर्थ क्या? इसलिए सम्यक् कहना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : सम्यक् मतलब किस तरह का?
दादाश्री : 'ओहोहो! आपने इस बच्चो को क्यों फेंका? क्या कारण है उसका?' तब वह कहे कि, 'जान-बूझकर मैं कोई थोड़े फेंकूँगा? वह तो मेरे हाथ में से छटक गया और गिर पड़ा।'
प्रश्नकर्ता : वह तो, उसने गलत बोला न?
अहो! व्यवहार का मतलब ही... प्रश्नकर्ता : प्रकृति न सुधरे, परन्तु व्यवहार तो सुधरना चाहिए न?
दादाश्री : व्यवहार तो लोगों को आता ही नहीं। व्यवहार किसी दिन आया होता न, अरे, आधे घंटे में भी आया होता तो भी बहुत हो गया! व्यवहार तो समझे ही नहीं हैं। व्यवहार मतलब क्या? उपलक (सतही, ऊपर ऊपर से, सुपरफ्लुअस)! व्यवहार का मतलब सत्य नहीं है। यह तो व्यवहार को सत्य ही मान लिया है। व्यवहार में सत्य मतलब रिलेटिव सत्य। यहाँ के नोट सच्चे हों या झूठे हों दोनों 'वहाँ' के स्टेशन पर काम लगते नहीं हैं। इसलिए छोड़ न इसे, और हम 'अपना' काम निकाल लें। व्यवहार मतलब दिया हुआ वापिस करना, वह। अभी कोई कहे कि, 'चंदूलाल में अक्कल नहीं है।' तो हम समझ जाएँ कि यह दिया हुआ वापिस आया! यह जो समझो तो वह व्यवहार कहलाए। आजकल व्यवहार किसी को है ही नहीं। जिसे व्यवहार, व्यवहार है उसका निश्चय, निश्चय है।
...और सम्यक् कहने से कलह शम जाता है
प्रश्नकर्ता : किसी ने जान-बूझकर यह वस्तु फेंक दी, तो वहाँ पर क्या एडजस्टमेन्ट लेना चाहिए?
दादाश्री : यह तो फेंक दिया, पर बच्चा फेंक दे तब भी हमें देखते' रहना है। बाप बच्चे को फेंक दे तो हमें देखते रहना है। तब क्या हमें पति को फेंक देना चाहिए? एक को तो अस्पताल जाना पड़ा अब वापिस दो अस्पताल खड़े करने? और फिर जब उसका चलेगा तब वह हमें पछाड़ देगा, फिर तीन अस्पताल खड़े हो गए।
दादाश्री : वे झूठ बोलें, वह हमें देखना नहीं है। झूठ बोलें या सच बोलें वह उसके अधीन है, वह अपने अधीन नहीं है। वह उसकी मरजी में आए ऐसा करें। उसे झूठ बोलना हो या हमें खतम करना हो, वह उसके ताबे में है। रात को अपनी मटकी में जहर डाल दे तो हम तो खतम ही हो जाए न! इसलिए जो हमारे ताबे में नहीं है वह हमें देखना नहीं है। सम्यक् कहना आए तो काम का है कि भाई इसमें क्या आपको फायदा हुआ? तो वह अपने आप कबूल करेगा। सम्यक् कहना नहीं और आप पाँच सेर का दोगे तो वह दस सेर का देगा!
प्रश्नकर्ता : कहना नहीं आए तो फिर क्या करना चाहिए? चुप बैठना चाहिए?
दादाश्री : मौन रहें और देखते रहें कि क्या होता है? सिनेमा में बच्चों को पटकते हैं, तब क्या करते हैं हम? कहने का अधिकार है सबका, पर कलह बढ़े नहीं उस तरह से कहने का अधिकार है। बाकी, जो कहने से कलह बढ़ता हो वह तो मूर्ख का काम है।
टकोर, अहंकारपूर्वक नहीं करते प्रश्नकर्ता : व्यवहार में कोई गलत करता हो उसे टकोर तो करनी