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५. समझ से सोहे गृहसंसार
१०१ रखे तो हम हमारा छोड़ दें। हमें तो इतना ही देखना है कि किस रास्ते सामनेवाले को दु:ख न हो। अपना अभिप्राय सामनेवाले पर थोपना नहीं है। सामनेवाले का अभिप्राय हमें लेना है। हम तो सबके अभिप्राय लेकर 'ज्ञानी' हुए हैं। मैं मेरा अभिप्राय किसी पर थोपने जाऊँ तो मैं ही कच्चा पड़ जाऊँ। अपने अभिप्राय से किसी को दु:ख नहीं होना चाहिए। तेरे रिवोल्युशन अठारह सौ हों और सामनेवाले के छह सौ हों, और तू तेरा
अभिप्राय उस पर थोपने जाए तो सामनेवाले का इंजन ट जाएगा। उसके सभी गियर बदलने पड़ेंगे।
प्रश्नकर्ता : रिवॉल्युशन मतलब क्या?
दादाश्री : यह विचारों की जो स्पीड है वह हर एक की अलग होती है। कुछ हुआ हो तब वह एक मिनट में तो कितना ही दिखा देता है, उसके सभी पर्याय एट-ए-टाइम दिखा देता है। ये बड़े-बड़े प्रेसिडेन्टों को मिनट के बारह सौ-बारह सौ रिवॉल्युशन्स घूमते हैं। तब हमारे पाँच हज़ार होते हैं। महावीर के लाख रिवॉल्युशन्स घूमते थे।
यह मतभेद पड़ने का कारण क्या है? आपकी वाइफ के सौ रिवॉल्युशन्स हो और आपके पाँच सौ रिवॉल्युशन्स हों और आपको बीच में काउन्टरपुली डालना आता नहीं है इसलिए चिनगारियाँ उड़ती हैं, झगड़े होते हैं। अरे! कितनी बार तो इंजन भी टूट जाता है। रिवॉल्युशन समझे आप? ये मज़दूर से आप बात करो तो आपकी बात उसे पहुँचेगी नहीं। उसके रिवॉल्युशन पचास होते हैं और आपके पाँच सौ होते हैं, किसी के हज़ार होते हैं, किसी के बारह सौ होते हैं। जैसा जिसका डेवलपमेन्ट हो उस अनुसार रिवॉल्युशन्स होते हैं। बीच में काउन्टरपुली डालो तब ही उसे आपकी बात पहुँचेगी। काउन्टरपुली मतलब आपको बीच में पट्टा डालकर अपने रिवॉल्युशन्स कम कर देने पड़ेंगे। मैं हरएक व्यक्ति के साथ काउन्टरपुली डाल देता हूँ। सिर्फ अहंकार निकाल देने से काम हो ऐसा नहीं है, काउन्टरपुली भी हरएक के साथ डालनी पड़ती है। इसलिए तो हमारा किसी के साथ मतभेद ही नहीं होता न! हम समझते हैं कि इस व्यक्ति के इतने ही रिवॉल्युशन्स हैं। इसलिए उस अनुसार मैं काउन्टरपुली
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क्लेश रहित जीवन लगा देता हूँ। हमें तो छोटे बच्चों के साथ भी बहुत रास आता है। क्योंकि हम उनके साथ चालीस रिवॉल्युशन्स कर देते हैं इसलिए उसे मेरी बात पहुँचती है, नहीं तो वह मशीन टूट जाए।
प्रश्नकर्ता : कोई भी, सामनेवाले के लेवल पर आए तब ही बात होती है?
दादाश्री : हाँ, उसके रिवॉल्युशन्स पर आए तब ही बात होती है। यह आपके साथ बातचीत करते हुए हमारे रिवॉल्युशन्स कहीं के कहीं जाकर आते हैं ! पूरे वर्ल्ड में घूम आते हैं। काउन्टरपुली आपको डालना नहीं आता, उसमें कम रिवॉल्युशनवाले इंजन का क्या दोष? वह तो आपका दोष कि आपको 'काउन्टरपुली' डालना नहीं आता है।
उल्टा कहने से कलह हुई..... प्रश्नकर्ता : पति का भय, भविष्य का भय, एडजस्टमेन्ट लेने नहीं देता है। वहाँ पर 'हम उसे सुधारनेवाले कौन?' वह याद रहता नहीं, और सामनेवाले को चेतावनी के रूप में बोल दिया जाता है।
दादाश्री : वह तो 'व्यवस्थित' का उपयोग करे, 'व्यवस्थित' फिट हो जाए तो कोई परेशानी हो ऐसा नहीं है। फिर कुछ पूछने जैसा ही नहीं रहे। पति आए तब थाली और पाटा रखकर कहें कि चलिए भोजन के लिए। उनकी प्रकृति बदलनेवाली नहीं है। जो प्रकृति हम देखकर, पसंद करके, शादी करके लाए, वह प्रकृति अंत तक देखनी है। तब क्या पहले दिन नहीं जानते थे कि यह प्रकृति ऐसी ही है? उसी दिन अलग हो जाना था न? मुँह क्यों लगाया अधिक?
इस किच-किच से संसार में कोई फायदा होता नहीं है, नुकसान ही होता है। किच-किच यानी कलह, इसलिए भगवान ने उसे कषाय कहा है।
आप दोनों के बीच में प्रोब्लेम बढ़ें वैसे अलग होता जाता है। प्रोब्लेम सोल्व हो जाएँ फिर अलग नहीं रहता। जुदाई से दु:ख है। और सभी को प्रोब्लेम खड़े होनेवाले हैं। आपको अकेले को होते हैं ऐसा नहीं है। जितनों