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जगत कर्ता कौन?
जगत कर्ता कौन?
'व्यवस्थित' तो जो सब जीव मात्र है, वे सब 'व्यवस्थित' में है। वो क्या हो जाएगा, क्या नहीं, सब उसका पहले से हिसाब आ गया है। कुदरत के नियम उसमें सहायता करते हैं। 'व्यवस्थित' तो पिछले जन्म से, जन्म से मृत्यु तक की यह फिल्म हो गई है। ये ग्लास (काँच) फूट गया तो वो ग्लास तो पहले से टूट गया है, मगर अभी ये दीखता है। ऐसा ये जगत है कि एक परमाणु भी कभी बढ़ता नहीं, कभी कम होता नहीं। अविनाशी में सब चीज़ ऐसी ही रहती है। और सब कुछ होता है वो विनाशी में होता है। अवस्थाएँ सब विनाशी है और विनाशी में देखने में आता है कि वो मर गया। मगर अविनाशी में कोई मरता ही नहीं है। ये मर गया, ऐसा हो गया, वैसा हो गया, वो सब रोंग बिलीफ में है, राइट बिलीफ में ऐसा होता ही नहीं।
अहंकार ही संसार है। अहंकार और ममता चले जाएँ तो फिर मोक्ष हो जाता है। जन्म से मृत्यु तक जो भी कुछ होता है, जो जो अवस्थाएँ होती है, पढ़ने की, खेलने की, बीमारी की, नौकरी करता है, शादी करता है, ब्रह्मचर्य आश्रम, संन्यास आश्रम, वो सब डिस्चार्ज ही है। अंदर नया चार्ज नहीं हो, तो आगे का जन्म बंद हो जाता है, मगर जो डिस्चार्ज है वह तो डिस्चार्ज ही रहता है। चार्ज करनेवाला अहंकार और ममता चले जाएँ, तो डिस्चार्ज तो पूरा अच्छी तरह से हो जाता है और मोक्ष हो जाता है।
आचरण डिस्चार्ज है। आचरण जो होता है, आचार है वो डिस्चार्ज है और चार्ज जब बंद हो जाए तो फिर डिस्चार्ज सब खत्म हो जाएगा। तो पहले क्या करना है?
प्रश्नकर्ता : चार्ज बंद करना है। दादाश्री : तो आपको कर्म का बंध होता है कि नहीं?
प्रश्नकर्ता : आप कहते हैं कि 'सब चीज़ों का निर्माण हो चुका है, निश्चित है', तो वह क्या है?
प्रश्नकर्ता : वो तो होता है।
दादाश्री : जो निर्माण हुआ (बन चुका) है वो सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स (व्यवस्थित) है और नहीं निर्माण हुआ (अब तक नहीं बना) वो सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स (व्यवस्थित) नहीं है। जो डिस्चार्ज हुआ है, वो निर्माण हुआ है, वो सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स है। अभी आप इधर सत्संग में आए वो डिस्चार्ज है, व्यापार किया वो डिस्चार्ज (कर्मफल) है, नींद ले वह भी डिस्चार्ज है. परा दिन सब डिस्चार्ज ही है। हमारे साथ बात करते हैं वो भी डिस्चार्ज ही है। और डिस्चार्ज सब निर्माण हो गया है और (नया) चार्ज है वो (अभी तक) निर्माण नहीं हुआ है। चार्ज अपने हाथ में है।
जगत केवल निर्माण नहीं है। चार्ज भी है और डिस्चार्ज भी है। वो डिस्चार्ज ही सब निर्माण हो गया है। जो बेटरी डिस्चार्ज होती है, वो निर्माण हो गया है। जैसे चार्ज हुई थी, वैसे ही डिस्चार्ज हो जायेगी।
दादाश्री : देखो न, जब तुम बोलते हो कि 'ये मैंने किया।' तब चार्ज होता है। मैं भी बोलता हूँ कि ये मैंने किया मगर में नाटकीय बोलता हूँ और तुम सचमुच बोलते हो।
प्रश्नकर्ता : मगर मैंने किया, मैं कर्ता हूँ ऐसा मुझे कभी नहीं लगता।
दादाश्री : तो आप कौन है? प्रश्नकर्ता : उसकी खोज में हूँ।
दादाश्री : तो फिर तुम खुद कर्ता हो। अभी तो तुमको 'मैंने किया' उसकी जिम्मेदारी लगती है। मगर जब तुमको Self realise (आत्मसाक्षात्कार) हो जाएगा फिर तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं। तुम मानो या