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जगत कर्ता कौन?
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जगत कर्ता कौन?
दादाश्री : दूसरा आपके पास कुछ चारा नहीं है। तो ये मतभेद कौन कराता है?
प्रश्नकर्ता : कोई इस शक्ति को भगवान कहता है, कोई कुदरत कहता है, कोई अदृश्य शक्ति कहता है लेकिन कोई उसका नाम नहीं बताता।
दादाश्री : हाँ, आप हमें मिलने कैसे आएँ? तो आपको जितना दिखता है (मालूम है), उतना बोलते हैं कि मुझे इस 'भाई' ने बताया कि 'ज्ञानीपुरुष' यहाँ आनेवाले हैं। उस बात से आपने विचार किया कि 'चलो, आज जाएँगे।' आप यहाँ आये, मैं बाहर जानेवाला था मगर नहीं गया। आपको दर्शन हो गए। इसके पीछे कितने कोजीज (कारण) हैं। जो दिखते हैं इतने ही कोज़ीज़ नहीं हैं, बहुत कोज़ीज़ हैं। इसमें से एक कोज़ नहीं मिले, तो काम नहीं होता। आपको मालूम नहीं है कि ये किन कोज़ीज़ से हुआ है। इन कोज़ीज़ को साइन्टिफिक इसलिए कहा कि इसमें बहुत गुह्य कोज़ीज़ हैं। आपको थोड़ा समझ में आया?
प्रश्नकर्ता : हाँ।
दादाश्री: लोग बोलते हैं कि भगवान ने हमारे लड़के को मार दिया, हमारा बहुत नुकसान कर दिया। ये सब गलत बात है। ऐसा नहीं बोलना चाहिए। भगवान तो भगवान ही है!!! कभी उसने कोई गुनाह नहीं किया।
दादाश्री : वो एक ही शक्ति है। उसी के आधार से सब चलता है। दूसरा कोई मेनेजर (प्रबंधक) नहीं है। और ये शक्ति भी कम्प्यूटर के जैसी है। उसमें चेतन नहीं है। इसमें चेतन होता तो भगवान पर ही आरोप लगता कि वो ही चलाता है। उस शक्ति से सब कुछ चलता हैं। आपको वास्तविकता जानने का विचार है?
प्रश्नकर्ता : हाँ, वास्तविक ही चाहिए।
दादाश्री : By Fact the god is not creator of this world at all. Only Scientific Circumstantial evidence
आप अपनी औरत के साथ टेबल पर आराम से खाना खा रहे हों, फिर पाँच मिनिट के बाद कोई मतभेद हो जाता है, तो वह मतभेद किसने करवाया? आपको पूछे कि, 'तुम्हारी मर्जी थी? तुम्हारी मर्जी से मतभेद हुआ?' तो आप ना बोलेंगे। औरत को पूछेगे तो वो भी ना बोलेगी। तो फिर ये मतभेद किसने करवाया?
प्रश्नकर्ता : रिलेटिव केरेक्टर (व्यावहारिक चरित्र), मन, टेम्परामेन्ट (स्वभाव) इन सब पर आधारित है।
दादाश्री : वो तो सब विजिबल कोज़ीज़ (दिखाई देनेवाले कारण) हैं। सच्चे कारण (Real causes) चाहिए। विजिबल कोज़ तो आँख से देखा जाता है, कान से सुनाई देता है, वो है।
प्रश्नकर्ता : साइन्टिस्ट के तरीके से तो हमें विजिबल कोजीज़ ही देखने पड़ते है न?
प्रश्नकर्ता : Who generated these evidences (ये संयोग कौन पैदा करता है)?
दादाश्री : हाँ, वो एक शक्ति है, जो सब संयोग इकट्ठा (evidences generate) करती है।
प्रश्नकर्ता : वो शक्ति क्या है?
दादाश्री : हमने उसका नाम 'व्यवस्थित शक्ति' दिया है। वो 'व्यवस्थित शक्ति'. इस दुनिया को व्यवस्थित (सुचारु रूप से) ही रखती है। सूर्य, चंद्र, तारे सबको व्यवस्थित रखती है। अनादि काल से व्यवस्थित ही रखती है। सब जीवों का आना-जाना, आपका संसार भी वो शक्ति ही चलाती है, निरंतर! जीवमात्र का सब 'व्यवस्थित शक्ति' ही चलाती है। हर रोज वो ही शक्ति काम करती है। सारे संयोग