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जगत कर्ता कौन?
जगत कर्ता कौन?
दादाश्री : नाश करनेवाला कौन है? प्रश्नकर्ता : सब कुदरत है। दादाश्री : आपने कुदरत की डेफिनेशन (परिभाषा) सही नहीं दी।
प्रश्नकर्ता : वो ही तो नोलेज (ज्ञान) है। कुदरत की डेफिनेशन का ज्ञान है, तो आदमी को सब कुछ पता चल जाएगा कि यह कुदरत क्या चीज़ है!
दादाश्री : खाना खाकर तुम सो जाते हो, फिर अंदर कौन चलाता है? इसमें बाइल (पित्त), पाचकरस वो सब तुम डालते हो? और चौबीस घंटे में भोजन का ब्लड (खून) बन जाता है, वो कौन बनाता है? यूरिन (पेशाब) कौन बनाता है? वो सब पृथक्करण हो जाता है, तो वो सब पृथक कौन करता है? वो क्या भगवान करने आते हैं? वो कौन करता है? वो किसी को करना पड़ता ही नहीं। ऐसे ही जगत चल रहा है, कुदरत से ही चल रहा है।
प्रश्नकर्ता : कुदरत कौन है?
दादाश्री : कुदरत याने सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स है। आप इधर कैसे आया? कितने सारे सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स मिलते है तब काम होता है।
2H (हाइड्रोजन) और एक 0 (ओक्सिजन) साइन्टिस्ट को देते हैं, तो वो बोलता है कि हम इसका पानी बना देंगे। हम बोलेंगे, क्या आप पानी का मेकर (बनानेवाले) है? तो बोलेगा, 'हाँजी, हमको 2 H और एक 0 दे दो, तो हम पानी बना देगा।' वहाँ तक तो मेकर बोला जाता है। फिर अपने पास 2 H खतम हो गया, one H ही है
और 20 है तो उसका पानी बना दो बोले, तो वो क्या बोलेगा कि, 'इसका नहीं बन सकता।' तो तुम क्या बनानेवाले हो? 26 और 0 इकट्ठा हो गया तो पानी बन जाता है। ऊपर से बरसात का पानी गिरता
है न, उसमें कोई देव कुछ नहीं करते। वो खुद ही ऐसे संयोग इकट्ठा हो जाते हैं और पानी गिरता है। इसमें बनानेवाले (मेकर) की कोई जरूरत नहीं है। वो सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स हैं।
___ एक आदमी अभी जिंदा है। किसी ऐसी दवा का डोज (औषधि की मात्रा) उसको पिलाया तो मर जाता है, तो किसने मार दिया? भगवान ने मार दिया? किसी आदमी ने मार दिया?
प्रश्नकर्ता : पोस्टमॉर्टम (मृत्यु के बाद की डॉक्टरी जाँच) करना चाहिए।
दादाश्री : हाँ, पोस्टमॉर्टम से सच्ची बात मालूम हो जाती है कि क्या हो गया है। क्या मालूम होगा कि किसी चीज़ से, दवा से मर गया है। ऐसे सरकमस्टेन्शियल एविडन्स बन गए हैं कि जिससे वो मर गया है। इसको इतना ज़हर (poison) दे दिया कि जहर ही मारता है। भगवान भी मारता नहीं और जहर देनेवाला भी नहीं मारता है। ज़हर देनेवाले ने जहर दिया और वमन हो गया तो ज़हर निकल गया, तो नहीं मरेगा। जहर देनेवाला यदि मारनेवाला होता तो वह आदमी जरूर मर जाता, मगर जहर ही मारता है। भगवान इसमें हाथ डालता ही नहीं।
यह विज्ञान मात्र है। आपकी बोडी (शरीर) कैसे बनी, वो भी विज्ञान मात्र है। ये जगत ऐसे ही विज्ञान से चल रहा है। ये बोडी भी ऐसे ही विज्ञान से ही उत्पन्न होती है। इसमें कोई ब्रह्मा की जरूरत नहीं, विष्णु की जरूर नहीं, शिव की जरूरत नहीं है। भगवान ये बोडी नहीं बनाते है, मगर भगवान की हाजिरी (presence) होनी चाहिए। भगवान है तो होता है, वर्ना नहीं होता।
प्रश्नकर्ता : इस सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स (Scientfic Circumstantial evidence) को जरा विस्तार से समझाइये।