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हुआ सो न्याय इसलिए जमा कर लेना ।
संसार से भाग खड़ा होना है जिसे... फिर कोई दफ़ा दालमें नमक ज्यादा पड़ा हो वह भी न्याय ।
प्रश्नकर्ता : क्या हो रहा है उसे देखने का. ऐसा आपने कहा है । तब फिर न्याय करने का ही कहाँ रहा ?
हुआ सो न्याय लेकिन दो दिन बाद पेपरमें पढ़ें कि जिसकी घड़ी हो वह हमसे सबूत देकर ले जाये और छपाई के पैसे दे जाये । अर्थात जिसका है उससे कोई हिला नहीं सकता । जिसका नहीं है, उसे मिलने वाला नहीं । एक परसेण्ट भी किसी प्रकार इधर-उधर नहीं कर सकते । यह ऐसा पूर्णतया कानूनन् संसार है । अदालतें कैसी भी हो वे कलयुग के आधार पर होंगी । लेकिन यह कुदरत के कानून के आधीन है । अदालती कानून भंग किया होगा तो अदालत के प्रति गुनहगार बनोगे, मगर कुदरत के कानून मत तोड़ना ।
यह तो हैं खुद के ही प्रोजेक्शन । बस, यह सब प्रोजेक्शन आपका ही है । क्यों कर लोगों को दोष दें ? प्रश्नकर्ता : क्रिया की प्रतिक्रिया है यह ?
दादाश्री : इसे प्रतिक्रिया नहीं कहते । लेकिन यह प्रोजेक्शन सभी आपका है । प्रतिक्रिया कहें तब फिर एक्शन एण्ड रिएक्शन ओर इक्वल एण्ड ऑपोझीट (अपोझिट) होगा ।
यह तो दृष्टांत देते है, उपमा देते हैं । आपका ही प्रॉजेक्शन है यह । अन्य किसीका हस्तक्षेप नहीं है इसलिए आपको सावधान रहना चाहिए कि जिम्मेवारी मुझ पर है । जिम्मेवारी समझने के बाद घर में वर्तन (बर्ताव) कैसा होगा ?
प्रश्नकर्ता : उसके मुताबिक बर्ताव करना चाहिए ।
दादाश्री : हाँ, जिम्मेवारी खुदकी समझें । वर्ना वह तो कहेगा की भगवान की भक्ति करने पर सब जाता रहेगा । पोलमपोल । भगवान के नाम पर पोल चलाई लोगो ने । जिम्मवारी खुद की है । होल एण्ड सोल रिस्पोन्सिबल । प्रोजेक्शन ही खुद का है न ।
कोई दुःख दे तो जमा कर लेना । जो दिया होगा वही वापस जमा करने का है । क्योंकि यहाँ पर बिना वज़ह दूसरे को दुःख पहुँच्चा सके ऐसा कानुन नहीं है । उसके पीछे कोझ कारन (कोज कारण) होने चाहिई,
दादाश्री : न्याय, मै जरा अलग से कहना चाहता हूँ । देखो न, उसका हाथ जरा मिट्टी के तलवाला होगा, उस हाथ से लोटा उठाया होगा । इसलिए सबमें मिट्टी के तेल की गंध आये. अब मै तो जरा पानी पीने गया कि मुझे मिट्टी के तेलकी बू आई । इस वक्त हम देखें और जाने कि क्या हुआ है यह ! फिर न्याय क्या होना चाहिए कि हमारे हिस्से में कहाँ से आया यह ? हमारे कभी भी नहीं आया और आज कहाँसे आया ? इसलिए यह हमारा ही हिसाब है । अर्थात यह हिसाब जमा कर लो । लेकिन वह किसीको मालूम न हो इस प्रकार जमा ले लेना । फिर सुबह उठने पर वह बहन आये और फिरसे वही पानी मँगवाकर दे तो हम फिर उसे पी जाये । लेकिन किसी को मालूम नहीं हो । अब अज्ञानी इस जगह क्या करेगा ?
प्रश्नकर्ता : शोर मचा देगा।
दादाश्री : घर के सारे लोग जान जाये कि आज शेठजी के पानी में मिट्टी का तेल पड़ गया ।
प्रश्रकर्ता : सारा घर हिल जाये ।
दादाश्री : अरे, सबको पागल कर दे । और जोरू तो बेचारी फिर चाय में शक्कर डालना भी भूल जाये ! एक दफ़ा हिला, फिर क्या हो ? दूसरी प्रत्येक बात में हिल जाये ।
प्रश्नकर्ता : दादा, उसमें हम शिकायत न करें बराबर मगर बादमें शांत चित होकर घरवालों को कहना तो सही न कि भैया, पाना में मिट्टी का तेल