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भुगते उसीकी भूल उसे चुकता किया । तब आप फिरसे गलती मत करना वर्ना फिरसे भुगतना पड़ेगा । इसलिए छूटना चाहो तो जो कुछ भी कडुआ मीठा (गालियाँ आदि) आये उसे जमा ले लेना, हिसाब चुकता हो जायेगा । इस जगतमें तो बिना हिसाबके आँखे भी नहीं मिलेगी। तो बाकी सबकछ बिना हिसाबके होता होगा ? आपने जितना-जितना जिस किसीको दिया होगा, उतनाउतना आपको वापस मिलेग,उसीसे। तब आप खुशी-खुशी जमा ले लेना कि हा । अब बहीखाता पूरा होगा, वर्ना भल करोंगेतो फिरसे भुगतना होगा ही।
हमने "भगते उसीकी भल" प्रकाशित किया है, लोग इसे अजूबा मानते है कि लाज़वाब खोजबीन है यह !
भुगते उसीकी भूल
दादाश्री : रात-दिन याद रहेगी इसलिए फिर शरीर पर असर होगा सभी । दूसरी अच्छी बात फिर उसके मनमें प्रवेश नहीं करेगी । इसलिए उसे कैसे समझायेगें फिर ? कि इसे अच्छी सास मिली, इसे ही क्यों अच्छी सास मिली ? तुम्हेंक्यों ऐसी मिली? यह पूर्वजनमका हिसाब है, इसे चुकता कर दो । किस प्रकार चुकता करना यह भी दिखाते हैं, तो सुखी हो जाये । क्योंकि दोषित उसकी सास नहीं है । भगतता है उसकी भूल है । इसलिए सामनेवालेका दोष नहीं रहता।
किसीका दोष नहीं है । दोष निकालने वालेका दोष है । जगतमें दोषित कोई है ही नहीं । सब सबके कर्मोका उदय है । सभी भुगत रहे हैं वह आजका गुनाह नहीं है। पिछले अवतारके कर्मके फल स्वरूप सब हो रहा है । आज गर उसे पछतावा हो रहा हो मगर जो हो गया हो, कोन्ट्रेक्ट (करार) हो गया होवे न, कोन्ट्रेक्ट कर दिया हो अब क्या हो सके ? पूरा करने पर ही छूटकारा है ।
इस दुनियामें यदि आप किसीकी भूल खोजना चाहें तो (15) जो भुगत रहा है । बहु सासको दुःख देती हो यासास बहुको दुःख देती हो उन दोनोंमें भुगतना किसे पड़ रहा है ? सासको, तो सासकी भूल है । सास बहूको दुःख देती हो, तो बहुको इतना समझ लेना चाहिए कि मेरी भूल है । यह दादाके ज्ञानके आधार पर समझ लेना कि भूल होगी, इसलिए ही गालियाँ दे रही है, अर्थात सासका दोष नहीं निकालना चाहिए । सासुका दोष निकालनेकीवजहसे मामला ज्यादा उलझता जायेगा कोम्प्लेक्स (जटील) होता रहेगा । और सासको बहू परेशान करती हो तो सासको दादाके ज्ञानसे समझ लेना चाहिए कि भुगते उसीकी भूल, इस हिसाबसे निभा लेना चाहिए।
गीअरमें उँगली, किसकी भूल ? जो कडुआहट भुगते वही कर्ता । कर्ता वही विकल्प । यह मशीनरी हो खुदकी बर्ना हुई, उसमें गीअर व्हील होते है, उसमें खुदकी उँगली आ जाये तो उस मशीनसे आप लाख कहें कि भैया, मेरी उँगली है, मैंने खुद तुझे बनाया है । तो (16) क्या वह गीअर व्हील उँगली छोड देगा ? नहीं छोडेगा । वह तो आपको समझा जाता है कि भैया, इसमें मेरा क्या कसूर? आपने भुगता इसलिए आपकी भूल । इसी प्रकार बाहर सर्वत्र ऐसी मशीनरी है केवल। ये सभी केवल गीअर ही है। गीअर नहीं होते तो सारी मुंबई में कोई बाई अपने पतिको दु:ख नहीं देती और कोई पति अपनी पत्नीको दुःख नहीं देता । अपना घर तो सभी सखी ही रखते, मगर ऐसा नहीं है । ये बाल-बच्चे, पति-पत्नी सभी केवल मशीनरी ही है, गीअर मात्र है ।
पहाड़को वापसी पत्थर मारोगे? प्रश्नकर्ता : कोई पत्थर मारे तब लगने पर हमें चोट लगेगी और बहुत उद्वेग होगा ।
दादाश्री : चोट लगने पर उद्वेग होगा, नहीं ? मगर पहाड़ परसे
सास बहुसे लड़तीहो फिरभी बहू मज़ेमें हो और सासको ही भुगतना पड़े तब भूल सासकी ही है । जेठानीको छेड़नेपर भुगतना पड़े वह हमारी भूल और बिना छेड़े भीवह देने आयी तो पिछले जनमका कुछ बाकी होगा