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भुगते उसीकी भूल
लोगोंको लगे, यह उल्टा न्याय ! अब एक साईकिल सवार अपने राईट वे (सही रास्ते) जा रहा है और एक स्कूटर सवार रोंग वे (उलटी राह) आया और उसकी टाँग तोड दी । अब भुगतना किसे पडेगा ?
प्रश्रकर्ता : साईकिल सवार को, जिसकी टाँग टूटी है उसको ।
दादाश्री : हाँ उन दोनोंमें आज किसको भुगतना पड़ रहा है ? तब कहें, टाँग टूटी उसको । इस स्कूटर वालेके निमितसे आज उसे पहलेका हिसाब चुकता हुआ । अब स्कूटरवालेके निमितसे आज उसे पहलेका हिसाब चुकता हुआ । अब स्कूटरवाले कोअभी कोई दुःख नहीं है। वह तो जब पकड़ा जायेगा तब उसका गुनाह जाहिर होगा । लेकिन आज जो भगते उसीकी भूल।
(13) प्रश्नकर्ता : जिसे लगा, उसका क्या गुनाह ?
दादाश्री : उसका गुनाह ? पहलेका क्या हिसाब उसका, जो आज चुकता हुआ । किसी हिसाबके बगैर किसीको कुछ भी दःख नहीं होगा । हिसाब चुकता होगा तब दुःख होगा । यह उसका हिसाब चुकता होना था इसलिए पकड़ा गया । वर्ना इतनी सारी दुनियाका क्यों नहीं पकड़ते ? आप क्यों नीडर होकर घूम रहे है ? तब कहेंगे हिसाब होगा तो होयेगा, वर्ना क्या होनेवाला है । ऐसा कहते हैं न हमारे लोग ?
प्रश्रकर्ता : भुगतना नहीं पड़े उसका क्या उपाय ?
दादाश्री : मोक्षमें जानेका । किंचितमात्र भी किसीको दुःख नहीं दें, कोई गर दुःख दे उसेजमा कर ले तो बहीखाता भरपाई कर हो जायेकिसीका उधार न करें, नया व्यापार शुरू नहीं करें ओर पुराना जो हो उसे निबटा लें, तो चुकता हो जायेगा।
प्रश्नकर्ता : तो जिसकी टाँग टूटी उस भुगतनेवालेको ऐसा समझना
भुगते उसीकी भूल कि मेरी भूल है, और उसे स्कूटरवालेके विरूद्ध कुछ नहीं करना चाहिए?
दादाश्री : कुछ नहीं करना चाहिए ऐसा नहीं कहा है । हम क्या कहते है कि मानसिक परिणाम नहीं बदलने चाहिए। व्यवहारमें जो कुछ होता है होनेदे मगर मानसिक राग-द्वेष नहीं होने चाहिए जिसे "मेरी भूल है ।" ऐसा समझमें आ गया है उसे राग-द्वेष नहीं होंगे ।
व्यवहारमें पुलिसवाला हमसे कहें कि नाम लिखाइएतो हमें लिखवाना होगा । व्यवहार सभी निभाना होगा मगर नाटकीय, ड्रामेटिक राग-द्वेष नहीं करना चाहिए । हमें "हमारी भूल है" ऐसा समझमें आनेके बाद उस स्कूटरवालेका बेचारेका क्या कसूर ? यह संसार तो खुली आँखो देख रहा है इसलिए उसे सबूत तो देने ही होंगे न, लेकिन हमें उसके प्रति राग-द्वेष नहीं होने चाहिए । क्योंकि उसकी भूल है ही नहीं । हम ऐसा इलजाम लगाये कि उसकी भूल है और आपकी (14)नज़रमें अन्याय दिखता हो, लेकिन वास्तवमें यह आपकी नज़रमें अन्याय दिखता हो, लेकिन वास्तवमें यह आपकी नज़रमें फर्क होनेसे अन्याय दिखता है ।
प्रश्नकर्ता : बराबर है।
दादाश्री : कोई आपको दु:ख देर रहा हो तो उसकी भूल नहीं है। पर यदि आप दुःख भुगते तो आपकी भूल है। यह कुदरतका कानून है । जगत का कानून क्या ? दुःख दे उसका कसूर । यह झीनी बात समझे तो स्पष्टा हो जाये और मनुष्य का निबटारा हो।
उपकारी, कर्मसे मुक्ति दिलानेवाले! यह तो उसके मनमें असर हो जाये कि, मेरी सास मुझे परेशान करती है। यह बात उसे रात-दिन याद रहेगी कि भूल जायेगी ?
प्रश्रकर्ता : याद रहेगी ही।