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संपादकीय
परम पूज्य दादा भगवान, जो इस काल के पूर्ण ज्ञानी हो गये, उन्हों ने ये सारी बातें सीधी, सरल और सहज भाषा में समझाई है।
इस तरह से सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी समझ जाये ऐसी भाषा में, उदाहरणों के साथ बताने से, गुह्य बात समझने में बहुत सरल हो गई है। शास्त्रों की बात दिमाग में समझ में जल्दी आती जाती ही नहीं।
आत्मा को पहचानने का दादाश्री का संदर भेदज्ञान का प्रयोग है. जिसके जरिये सिर्फ दो ही घंटे में ज्ञान प्राप्त हो जाता है ! जिससे बाकी रहे शेष जीवन में आमूल परिवर्तन आता है और हमेशा 'मैं शुद्धात्मा हूँ' यही खयाल में रहता है।
- डॉ. नीरुबहन अमीन के जय सच्चिदानंद
आत्मा का साक्षात्कार पाने के लिये, आत्मा को जानने के लिये तमाम धर्मों ने बताया है। लेकिन आत्मा कैसे प्राप्त करें? आत्मा का सच्चा स्वरूप क्या है? आत्मा क्या करता है? इन सब प्रश्नों का समाधान कैसे करें? यह ज्ञान कहां से प्राप्त हो सकता है?
कभी कभार आत्मज्ञानी पुरूष अवतरित होते हैं, तभी यह आध्यात्मिक रहस्य खुला हो जाता है। संसार में जो भी ज्ञान है वह भौतिक ज्ञान है, रिलेटिव ज्ञान है। उससे आत्म साक्षात्कार कभी नहीं हो सकता। ज्ञानी पुरूष को आत्मा का अनुभव होने से आत्म साक्षात्कार की प्राप्ति हो सकती है।
आत्मा पर तो गीता में, उपनिषद में, वेद में, आगम में बड़े बड़े ग्रंथ संकलित हो जाये इतना कुछ कहा है। मगर जब खुद ज्ञानी पुरूष रहते हैं, तब मूल तत्वों की बात का संक्षिप्त में सारा ज्ञानार्क प्राप्त हो जाता है।
आत्मा क्या चीज है? कषाय और आत्मा का क्या संबंध है? कषाय आत्मा का गुण है या जड़ का? आत्मा निर्गुण है या सगुण? वह द्वैत है या अद्वैत? ब्रह्म सत्य है या जगत? क्या आत्मा सर्वव्यापी है? जड़ और चेतन की भेदरेखा, आत्म शक्ति और प्राकृत शक्ति में क्या अंतर है? आत्मा सक्रिय है या अक्रिय? दरअसल में आत्मा क्या चीज है? आत्मा का स्थान कहाँ? वह कैसे दिखाई दे? जड़ तत्त्व और चेतन तत्त्व के मिश्रण से जो विशेष परिणाम 'सायन्टिफिकली' उत्पन्न हुआ है, जो सारे संसार परिभ्रमण की जड़ है, उसका यथार्थ विज्ञान पूज्यश्री ने यहाँ सुस्पष्ट किया है !
विश्व के छः सनातन तत्त्वों का भी सुंदर, सरल भाषा में वर्णन किया
इन सारी बातों को ज्ञानी के अलावा और कौन बता सकता है?