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________________ आत्मबोध आत्मबोध प्रश्नकर्ता : मैंने ऐसा पढ़ा है कि जड़ में भी भगवान है, इसलिए जड़-चेतन में कोई फर्क नहीं है, सब में ही भगवान है। दादाश्री : जड़ और चेतन के बीच डिफरन्स है। जो चेतन है न, उसमें जानने की शक्ति, देखने की शक्ति और परमानंद शक्ति है और जिसमें जानने-देखने की शक्ति नहीं, परमानंद शक्ति नहीं है, वो सब जड़ है। जड़ में चेतन जैसी शक्ति नहीं है। प्रश्नकर्ता : तो फिर जड़ से चेतन पैदा नहीं हो सकता है? दादाश्री : नहीं, नहीं। जड़ में से चेतन कभी हो सकनेवाला ही नहीं और चेतन में से जड़ भी होनेवाला नहीं। चेतन में कोई संयोग पदार्थ ही नहीं है। चेतन कोई कम्पाउन्ड स्वरुप नहीं है। वो स्वतंत्र है। जड़ भी स्वतंत्र है और चेतन भी स्वतंत्र है। और दोनों संयोग स्वरुप है, कम्पाउन्ड स्वरुप नहीं है। प्रश्नकर्ता : लेकिन जड़-चेतन एक ही हैं न? दादाश्री : नहीं, नहीं। दोनों अलग हैं। जड़-चेतन एक है, वह बात गलत है। ये सब रिलेटिव करेक्ट है, लेकिन रीयल करेक्ट नहीं है। Real is real and relative is relative! प्रश्नकर्ता : What is relative correct ? दादाश्री : जिसको अवलंबन लेना पडता है. वो सब रिलेटिव करेक्ट है। जो निरालंब है, स्वतंत्र है. इनडिपेन्डेन्ट है, वो रीयल करेक्ट है। जिसको कोई चीज की जरूरत नहीं, वो ही रीयल है और जो सम्बंधित है, वो सब रिलेटिव है। वो भी जड़ है, लेकिन अंदर चेतन है। वो चेतन के प्रभाव से, चेतन की हाजरी से जड़ उगता है। चेतन की हाजरी चली जाये तो फिर वो नहीं उगता। ये धान आता है न? जो शालि बोलते हैं, वो शालि भी चारपाँच साल की हो तो वहाँ तक पानी डालेगा तो उगेगी, फिर आठ-दस साल हो गया तो नहीं उगेगी। आत्मशक्ति और प्राकृत शक्ति ! प्रश्नकर्ता : आत्मा और आत्मा की शक्ति, ब्रह्म और ब्रह्म की शक्ति में क्या फर्क है? दादाश्री : वो दोनों एक ही है, आत्मा और ब्रह्म दोनों एक ही है। कुछ खास फर्क नहीं है। प्रश्नकर्ता : और देवी-देवताओं को हम मानते है, तो उसमें शक्ति है वो अलग है? दादाश्री : हाँ, माताजी की शक्ति अलग है। आत्मा अलग है, माताजी अलग है। माताजी की शक्ति है, वो प्राकृत शक्ति है और वह प्रकृति को नोर्मल रखने के लिए है। आँख से दिखाई देता है वो जो शक्ति है, वो आत्मशक्ति नहीं है। वो अनात्म विभाग है, उसकी शक्ति है। अनात्म विभाग है, वो भी शक्तिवाला है। आत्मा में भी शक्ति है, वो अनंत शक्ति है। प्रश्नकर्ता : आत्मा को ये शक्ति रहित कर दिया तो आत्मा जड हो जायेगी कि चेतन ही रहेगी? दादाश्री : नहीं, आत्मा तो खुद चेतन ही रहती है। वो कभी बाहर से शक्ति नहीं लेती और उसकी शक्ति दूसरे को नहीं देती। वो चेतन ही रहती है, शुद्ध ही रहती है। वो शुद्ध है और वो ही परमात्मा है। परमात्मा की शक्ति में कोई चेन्ज नहीं होता। लेकिन इन सब लोगों को भ्रांति है, इसलिए ये मैं हूँ, ये हमने किया ऐसा बोलते है और सब भ्रांति में चल रहे हैं। मनुष्य कुछ भी करता है वो सब जड़ की शक्ति प्रश्नकर्ता : एक बीज है, उसको खेत में बोते हैं, वो उगता है, वह चेतन उगता है और वह सब जड़ के आधार से उगता है? पृथ्वी, पानी, सब संयोगों से? दादाश्री : नहीं, चेतन नहीं उगता, जड़ उगता है। जो उगता है,
SR No.009577
Book TitleAtmabodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size91 KB
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