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(९) व्यक्तित्व सौरभ
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प्रश्नकर्ता: प्रेमलक्षणा भक्ति किसे कहते हैं?
दादाश्री भगवान के साथ का प्रेम, वही खरी प्रेमलक्षणा भक्ति है। पूरा दिन भगवान भुलाए नहीं जाएँ। रुपये गिनते समय भी याद रहा करें, वह भगवत् प्रेम। अभी तक तो लक्ष्मी के लिए प्रेम अधिक है। बेटी की शादी करवाते समय भगवान विस्मृत हो जाते हैं, वह मोह है, मूर्छा है। प्रेमलक्षणा भक्ति तो बहुत उच्च भक्ति है। उसमें तो भगवान खुद हाज़िर होते हैं।
निर्दोष दृष्टि, वहाँ जग निर्दोष प्रश्नकर्ता: निर्दोषता किस तरह प्राप्त होती है?
दादाश्री : पूरे जगत् को निर्दोष देखोगे तब मैंने पूरे जगत् को निर्दोष देखा है, तब मैं निर्दोष हुआ हूँ। हित करनेवाले को और अहित करनेवाले को भी हम निर्दोष देखते हैं।
प्रश्नकर्ता: 'रिलेटिव' तो दिखने में दोषित ही दिखता है न? दादाश्री : दोषित कब माना जाता है? उसका शुद्धात्मा वैसा करता हो, तब। लेकिन शुद्धात्मा तो अकर्त्ता है। वह कुछ भी कर सके ऐसा नहीं है। यह तो डिस्चार्ज हो रहा है, उसमें तू उसे दोषित मान रहा है। दोष दिखें, उसका प्रतिक्रमण करना। जब तक जगत् में कोई भी जीव दोषित दिखता है, तब तक समझना कि अंदर शुद्धिकरण नहीं हुआ है, तब तक इन्द्रियज्ञान है।
प्रश्नकर्ता: कड़वाहट एक प्रकार का अहंकार कहलाता है?
दादाश्री कड़वाहट, मिठास, वे दोनों कर्म के फल हैं और वे कर्म के फल, जब तक अहंकार हो तब तक ही होते हैं। अच्छा करने का अहंकार किया तो मिठास आती है, बुरा करने का अहंकार किया तो कड़वाहट आती है।
प्रश्नकर्ता: इस जगत् में कौन उलझाता है?
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आप्तवाणी-४
दादाश्री अज्ञान ।
प्रश्नकर्ता: क्षमा माँगनेवाला बड़ा या क्षमा देनेवाला बड़ा ?
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दादाश्री क्षमा तो घोड़ागाड़ीवाला, टैक्सीवाला या मटकीवाला भी माँगने आ सकता है। पर किसीको क्षमा नहीं दी होती है। इसलिए खरी क़ीमत क्षमा करे उसकी है। क्षमा देना बहुत मुश्किल है। हमारी सहज क्षमा होती है। आपकी भूल हो जाए तो अपने आप क्षमा दे दी जाती है, आप माँगो या नहीं माँगो तो भी।
कर्त्ता हुआ तो बीज पड़ेंगे
प्रश्नकर्ता: एक व्यक्ति सोचता है कि मारना है और दूसरा मारता है, तो उन दोनों में क्या फर्क है?
दादाश्री : सोचता है वह गुनहगार है और जो मार डालता है वह दुनिया का गुनहगार है। जिसे इस जन्म में मार डाला, वह पिछले जन्म का गुनहगार है, उसका तो इस जन्म में निकाल हो जाएगा। जेल में जाएगा, लोग टीका-निंदा करेंगे। उसका हल हो जाएगा, लेकिन बाद में बीज नहीं डला होगा तभी ।
प्रश्नकर्ता: बीज का कोई क्रम है? ऐसी कोई समझ है कि यह बीज डलेगा और यह नहीं डलेगा?
दादाश्री : हाँ। आप कहो कि, 'यह नाश्ता कितना अच्छा बना है और मैंने खाया तो बीज पड़ा। 'मैंने खाया' वह बोलने में हर्ज नहीं है। कौन खाता है, वह आपको जानना चाहिए कि 'मैं नहीं खाता हूँ, खानेवाला खाता है।' यानी कर्त्ता बनो तो ही बीज पड़ेगा।
आत्मज्ञान मिला या प्रकट हुआ?
प्रश्नकर्ता : 'आपकी दशा प्राप्त करनी' और 'मोक्ष प्राप्त करना', इन दोनों में क्या फर्क है?
दादाश्री : कुछ भी फर्क नहीं है। हमारा तो मोक्ष हो ही गया है।