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(५) अभिप्राय
कुशलता का अँधापन
कुशलता, एक्सपर्ट होने से रोके हमें लिखना-करना नहीं आता, पेन भी पकड़ना नहीं आता। हमें कुछ भी नहीं आता। संसार का कुछ भी नहीं आए, उनका नाम 'ज्ञानी'। हम अबुद्ध कहलाते हैं।
अभिप्राय व्यक्तित्व दिखाता है। अभिप्राय से दृष्टि ही बदल जाती है।
अभिप्राय मृतप्राय हों, बिना आग्रह के हों तो हर्ज नहीं, जल्दी खत्म हो जाते हैं। पर जो अभिप्राय आग्रहवाले हैं, वे ज्ञान पर आवरण लाते हैं।
मिश्रचेतन के प्रति अभिप्राय जड़ वस्तु का अभिप्राय दो, उसमें इतना अधिक हर्ज नहीं है, उसे छोड़ते देर नहीं लगेगी। पर मिश्रचेतन के साथवाले अभिप्राय के सामने हम सचेत रहने को कहते हैं। ___हर एक को अपनी-अपनी वाइफ के लिए अभिप्राय बैठ चुके होते हैं। इसलिए टकराव होता है।
'मैं चंदूलाल हूँ' वह अभिप्राय ही है न? आप हो, वैसा नहीं मानते हो और नहीं हो वैसा मानते हो।
घर के सारे ही लोगों के साथ गाढ़ अभिप्राय बंध गए होते हैं। इसलिए जिनके मुँह चढ़ें-उतरें, वैसे मिश्रचेतन के लिए अभिप्राय बाँधना ही नहीं। अभिप्राय ही अंतराय हैं। पाप जल सकते हैं, परन्तु अभिप्रायों के अंतराय तो खद के लिए ही हानिकारक बन जाते हैं और जिनसे छूटना है, वहाँ पर ही अधिक गाँठें पड़ जाती है।
खुद के हावभाव खुद को ही कड़वे लगते हैं, पर वे पुद्गल के हैं। अपनी राजीखुशी से अभिप्रायों का माल भरा है। हर एक के खुद के अभिप्राय के अनुसार हावभाव होते हैं।
'शुद्धात्मा' तो है, परन्तु प्रतिष्ठित आत्मा का अभिप्राय खड़ा हुआ, इसलिए उसके अनुसार ही 'मशीनरी' चलेगी। 'शुद्धात्मा' के सिवाय दूसरा सबकुछ ही मशीनरी है।
प्रश्नकर्ता : आप अपने आप को अबुद्ध कहते हैं, पर प्रबुद्ध लगते हैं हमें।
दादाश्री : पर मैं तो हर एक बात का अनुभव करके कहता हूँ। आज सत्तर वर्ष की उम्र हुई, परन्तु अभी तक मुझे दाढ़ी बनानी नहीं आती। लोग मन में मानते हैं कि उन्हें दाढ़ी बनानी आती है, वह सब इगोइजम है। कुछ ही, बहुत कम लोगों को दाढ़ी बनानी आती होगी। मझे खुद को भी समझ में आता है, कि मुझे यह रेज़र किस तरह पकड़ना चाहिए. कितनी डिग्री से पकड़ना चाहिए, उसके बारे में कुछ मालम नहीं है। उसके एक्सपर्ट हम नहीं हुए हैं। जब तक मैं एक्सपर्ट नहीं हुआ, तब तक हमें नहीं आता है ऐसा ही कहा जाएगा।
प्रश्नकर्ता : एक्सपर्ट होने में आपको फायदा नहीं दिखा न?
दादाश्री : फायदे की बात नहीं, परन्तु 'जैसा है वैसा' मैं कह देता हूँ कि मुझे दाढ़ी बनानी नहीं आती। आपको लगे कि, ऐसा तो किस तरह हो सकता है? परन्तु आपको आता है वही गलत है। वह सिर्फ इगोइजम है। कुछ को तो ब्लेड का उपयोग करना भी नहीं आता, ब्लेड काम में