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आप्तवाणी-४
पढ़ाई में इन्टरेस्ट नहीं है और दूसरा सब बहुत याद रहता है, उसे जिसमें बहुत इन्टरेस्ट हो वह। जिसे जिसमें राग अधिक उसका वह एक्सपर्ट हो जाता है। मुझे अध्यात्म पर राग था, इसलिए मैं अध्यात्म में एक्सपर्ट हो गया!
(२६) स्मृति - राग-द्वेषाधीन
तीव्र स्मृति, वहाँ तीव्र राग-द्वेष कल कौन-सा वार है, हमें वह भी याद नहीं होता. फिर भी जगत चलता है। किसीसे पूछे तब तो तीन लोग बोल उठते हैं कि रविवार है। याद रखनेवाले बहुत सारे लोग हैं।
वीतराग किसे कहा जाएगा? आत्मा के अलावा दूसरा कुछ भी याद ही नहीं आए, आत्मा और आत्मा के साधन के अलावा दूसरा कुछ भी याद ही नहीं रहे।
कुछ को शास्त्रों पर बहुत राग होता है, इसलिए उन्हें शास्त्रों की जबरदस्त स्मृति होती है। इसमें आत्मा पर राग हो जाए तो दूसरी सब जगह, संसार में विस्मृति कहलाती है।
स्मृति-विस्मृति, करना मुश्किल प्रश्नकर्ता : पंद्रह वर्षों तक कुछ भी मुझे याद नहीं आया और आज आ गया, वह क्या कहलाता है? वह कौन-सा राग-द्वेष कहलाता है?
दादाश्री : वह राग-द्वेष पर आधारित है। कुछ बातों में ऐसा होता है कि वह सतत याद आती ही रहती है और कुछ ऐसी होती है कि उनका काल परिपक्व हो तब फल देते रहते हैं।
जितनी स्मृति गई, उतने वीतराग हए। वीतराग को किसी भी प्रकार की स्मृति नहीं होती। जगत् की विस्मृति को ही मोक्ष कहा है।
स्मरणशक्ति के लिए पूरा जगत् प्रयत्न करता है, परन्तु स्मरणशक्ति नाम की कोई शक्ति नहीं है। स्मरणशक्ति, वह राग-द्वेष के कारण है। मुझे राग-द्वेष नहीं है इसीलिए मुझे स्मरणशक्ति नहीं है। अभी हमें हमारी स्मृति पर से पता चलता है कि इस जगह पर राग है और इस जगह पर द्वेष है। इसलिए ही तो लोगों ने जगत् विस्मृत करने के लिए खोज की है।
प्रश्नकर्ता : पहले नंबर से पास हो उसे राग-द्वेष बहुत हैं, ऐसा कहा जाता है?
प्रश्नकर्ता : कुछ भी याद रखना आसान है, परन्तु विस्मृत करना मुश्किल है, उसका क्या कारण है?
दादाश्री : याद रखना भी सरल नहीं है और विस्मृत करना भी सरल नहीं है, दोनों कठिन हैं। जिसे याद नहीं रहता हो उसे याद करना बहुत मुश्किल लगता है। तब उस चीज़ को उसे विस्मृत करना बहुत आसान ही होता है न! और जिसकी याद बहुत आती हो, उसकी विस्मृति लानी बहुत मुश्किल हो जाती है।
प्रश्नकर्ता : जगत् किस तरह विस्मृत करें? भलें कैसे? वह एक प्रश्न है।
दादाश्री : उसे जिसमें इन्टरेस्ट अधिक हो, उसमें अधिक मार्क्स आते हैं। इतिहास में राग हो तो उसमें अधिक मार्क्स आते हैं। कितने ही बच्चों को पढ़ाई में कुछ भी याद नहीं रहता। वह हम जानते हैं कि उसे
दादाश्री : जगत् एक घंटा भी विस्मृत हो सके ऐसा नहीं है। एक घंटे जगत् विस्मृत करने के लिए हजारों रुपया खर्च करे तो भी वह विस्मृत हो, ऐसा नहीं है। तरह-तरह का याद आता है। भोजन करते समय जो