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________________ (२३) मोक्ष प्राप्ति, ध्येय १९५ 'ज्ञानी पुरुष' पहचाने नहीं जाते। क्योंकि बीच में भीतर आवरण होते हैं उसे! 'ज्ञानी पुरुष' तो बहुत सरल होते हैं। आसानी से पहचाने जा सकते हैं। यदि देखो कि 'कपड़े इस तरह क्यों पहनते होंगे?' वहीं से फिर उल्टा चला! आत्मा अबंध, किस अपेक्षा से? प्रश्नकर्ता : आत्मा को अबंध (बंधन रहित) कहते हैं, तो मोक्ष किसका? दादाश्री : आत्मा के बारे में तो 'ज्ञानियों' की भाषा समझी जाए तो हल आए। लोगों की भाषा में अबंध अलग है और 'ज्ञानियों' की भाषा में वह अलग है। यदि सर्वज्ञ की भाषा में अबंध समझ जाए तो वह पद प्राप्त हो जाए ऐसा है। सर्वज्ञ की भाषा में तो आत्मा अबंध ही है, निरंतर मोक्ष स्वरूप ही है। यह कभी भी बंधा ही नहीं। यह सर्वज्ञ की भाषा है। 'जैसा है वैसा' 'फेक्ट' है। यदि जरा-सी भी शंका रहे कि खुद अभी तक बंधा हुआ है, तब उसे तुरन्त ही चिपटेगा। खुद निबंध ही है, वह बात नि:शंक है। मोक्ष किसका? प्रश्नकर्ता : मृत्यु, मुक्ति और मोक्ष, इन तीनों में किस प्रकार भेद किया जाए? दादाश्री : 'आप' यदि वास्तव में चंदूभाई हो तो मृत्यु प्राप्त करनेवाले हो और 'आप' यदि शिव हो तो मुक्ति हो चुकी है और मुक्ति हुई तो उसका फल मोक्ष आएगा। यहीं पर मक्ति हो जानी चाहिए। मेरी मुक्ति हो चुकी है। (२४) मोक्षमार्ग की प्रतीति मोक्षप्राप्ति-मार्गदर्शन प्रश्नकर्ता : मुमुक्षु-आत्मा को मोक्ष प्राप्त करने के लिए कौन-से धर्म की जरूरत पड़ती है? दादाश्री : आत्मधर्म की जरूरत पड़ती है। प्रश्नकर्ता : कौन-से वेष में मोक्ष मिलता है? दादाश्री : वेष और मोक्ष का कोई लेना-देना नहीं है। नंगा घूमता हो या कपड़े पहनकर घूमता हो, उसमें कोई हर्ज नहीं है। किसी भी वेष में मोक्ष मिल सकता है। प्रश्नकर्ता: कौन-से स्थानक में मोक्ष मिलता है? दादाश्री : वीतराग धर्म से मोक्ष मिलता है। वीतराग स्थानक में मोक्ष मिलता है। प्रश्नकर्ता : कौन-सी दशा में मोक्ष मिलता है? दादाश्री : वीतराग दशा में मोक्ष मिलता है। प्रश्नकर्ता : कौन-से संप्रदाय में, संघ में, फिरके में सच्चा धर्म है? संप्रदाय है, वह क्या है? उसकी ज़रूरत है? दादाश्री : सभी संप्रदाय अंश धर्म है, 'रिलेटिव' धर्म है। जहाँ पक्ष है वहाँ मोक्ष नहीं है, वहाँ 'रियल' धर्म नहीं है। सम्प्रदायों में सच्चा धर्म नहीं है, क्योंकि वे एकांतिक हैं।
SR No.009576
Book TitleAptavani 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages191
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size50 KB
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