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अहिंसा
महावीर बनाए या नहीं बनाए ? !
प्रश्नकर्ता: अभी तो सब उल्टा है। अभी तो कहेंगे, देख, जो मार खाकर आया है तो !
दादाश्री : आज नहीं पहले से ही उल्टा है। अभी इस काल के कारण कोई बदलाव नहीं है। वह तो पहले से ही उल्टा था, ऐसा ही है यह जगत्! इसमें से जिसे भगवान महावीर का शिष्य होना हो वह हो सकता है, नहीं तो लोगों के शिष्य तो होना ही पड़ेगा। वे गुरु, वे बॉस और हम उनके शिष्य । मार खाया ही करो न ! इसके बदले तो महावीर भगवान अपने बॉस की तरह अच्छे, वे वीतराग तो हैं। लड़ते-करते नहीं !
सफाई रखो, दवाई मत छिड़को
कितने ही खटमल मारते-करते नहीं, पर बिस्तर और वह सब बाहर धूप में सुखाते हैं। पर मैंने तो उसके लिए भी अपने घर में मना कर दिया था, बिस्तर सूखाने को मना ही कर दिया था। मैंने कहा, 'धूप में किसलिए बेचारे खटमल को परेशान करते हो?' तब वे कहते हैं, 'तब उनका कब अंत आएगा?' मैंने कहा, 'खटमल मारने से खटमल की बस्ती कम नहीं हो जाती। वह एक नासमझी है कि खटमल मारने से कम होते हैं। मारने से कम नहीं होते। कम लगते हैं ज़रूर, पर दूसरे दिन उतने ही होते हैं।'
इसलिए हमें तो साफ-सफाई सब रखनी चाहिए। साफ-सफाई हो तो खटमल खड़े नहीं रहें। पर उसके ऊपर दवाई छिड़कें तो वह गुनाह ही कहलाता है न! और दवाईयों से मरते नहीं है। एक बार मरे हुए दिखते हैं, पर वापिस दूसरी जगह उत्पन्न हो जाते हैं। खटमल का एक नियम होता है। मैंने खोजबीन की थी इस पर कि किसी काल में एक भी दिखता नहीं है। क्योंकि यह कुछ खास कालवर्ती है और जब उसका सीजन आए, तब ढेरों निकलते हैं, तब चाहे जैसी दवाई डालो फिर भी निकलते ही रहेंगे।
पूरे करो पेमेन्ट फटाफट
प्रश्नकर्ता: वे खटमल उनका हिसाब हो उतना ही लेते हैं न?
अहिंसा
दादाश्री : हमने तो पहले ही पेमेन्ट चुका दिया था, इसलिए अभी बहुत मिलते नहीं हैं। पर अभी भी खटमल कभी हमारे पास आ जाएँ, तब भी वे हमें पहचानते हैं कि ये यहाँ कोई मारनेवाले नहीं हैं, परेशान करनेवाले नहीं हैं। हमें पहचानते हैं। वे अंधकार में भी हमारे हाथ में ही आते हैं। पर वे जानते हैं कि हमें छोड़ देंगे। हमें पहचानते हैं। दूसरे सब जीवों को भी पहचानते हैं कि ये निर्दयी हैं, यह ऐसा है क्योंकि उसके अंदर भी आत्मा है। तो क्यों न पहचाने ? !
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और यह हिसाब तो चुकाये बिना छुटकारा ही नहीं। जिस-जिस के खून पीए होंगे न, फिर उन्हें खून पिलाना पड़ेगा। ऐसा है न, वो ब्लड बैंक होता है न? वैसा यह खटमल बैंक कहलाता है। कोई दो लेकर आया हो तो दो लेकर जाता है। ऐसा यह सारा बैंक कहलाता है, तो बैंक में सब जमा हो जाता है।
वह खून पीता है या छुड़वाता है देहभाव ?
यानी खटमल काटते हों तो उसे भूखा नहीं जाने देना चाहिए। हम इतने श्रीमंत व्यक्ति और वहाँ से वह गरीब व्यक्ति भूखा जाए, वह कैसे पुसाए?
और मेरा कहना है कि हमें न पुसाए तो उसे बाहर रख आएँ । हमें पुसाना चाहिए, उसे भोजन करवाने की शक्ति होनी चाहिए। वह शक्ति नहीं हो तो बाहर रख आएँ कि भाई, आप दूसरी जगह भोजन कर लो। और भोजन करवाने की शक्ति हो तो भोजन करवा के जाने देना। और वह भोजन करके जाएगा तो आपको बहुत लाभ देकर जाएगा। आत्मा मुक्त कर देगा। देह में ज़रा भाव रहा होगा तो छूट जाएगा । और ये खटमल क्या कहते हैं? 'आप सोते हो क्या समझकर ? आपका कोई काम कर लो न!' यानी वे तो चौकीदार है।
नहीं वह कानून से बाहर
प्रश्नकर्ता : और ये मच्छर बहुत त्रास देते है, वह ?