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________________ एडजस्ट एवरीव्हेर की । फिरभी हम क्या करते हैं कि जमाने के अनुसार एडजस्ट होइये । ३) लडका नयी टोपी पहनकर आये तब ऐसा नहीं कहना चाहिए कि, यह ऐसा कहाँसे लाया ? उसके बजाय एडजस्ट होकर पूछे कि. इतनी अच्छी टोपी कहाँसे लाया ? कितने में लाया ? बहुत सस्तेमें मिल गई? इस प्रकार एडजस्ट हो जायें. हमारा धर्म क्या कहता है कि असुविधा में सुविधा देखिए । रातमें मुझे विचार आया कि, "यह चद्दर मैली है ।" पर फिर एडजस्टमेन्ट ले लिया कि वह इतनी मुलायम महसूस होगी कि बात ही तम पूछे उसकी । पंचेन्द्रिय ज्ञान असुविधा दिखायें और आत्मज्ञान सुविधा दिखाये । इसलिए आत्मा में ही रहें । गंधीलेके साथ एडजस्टमेन्ट । यह बांद्राकी खाड़ी बू मारे तो उसके साथ क्या लड़ने जायेंगे? इसी प्रकार ये मनुष्य बू मारते है, उनको कुछ करने कैसे जाये ? बू मारे वे सभी खाडियाँ कहलाये और सुगंध फैलाये वे बाग़ कहलाये । जो जो बू मारते है वे सभी कहते है कि "आप हमारे साथ वीतराग रहे !" यह तो अच्छा-बुरा कहने से भूत परेशान करते है । हमें तो दोनों को समान कर देना है । इसे अच्छा कहा इसलिए वह बुरा हुआ, इस कारण वह परेशान करे । लेकिन दोनोका"मिश्चर" कर डाले इससे फिर असर नहीं रहता । "एडजस्ट एवरीव्हेर" की हमने खोज-बीन की है । सच बोल रहा हो उसके साथ और झूढ बोल रहा हो उसके साथ भी "एडजस्ट" हो जा । हमसे कोई कहे कि "आपमें अक्ल नहीं है।" तब हम तुरन्त उससे एडजस्ट होकर कहें कि, "वह तो पहले से ही नहीं थी । आज त कहाँ से खोजने आया ? तुझे तो आज मालूम हुआ, पर मैं तो बचपनसे ही जानता हूँ यह ।" ऐसा कहें इसलिए झंझट मीटे न ? फिर से वह हमारे पास अक्ल खोजने नहीं आयेगा । ऐसा नहीं करें तो अपने घर कब पहुँचते ? एडजस्ट एवरीव्हेर पत्नीके साथ एडजस्टमेन्ट ! प्रश्रकर्ता : वह एडजस्ट कैसे होना, यह जरा समझाइए । दादाश्री : हमें किसी कारण वश देर हो गई, अब वाइफने (पत्नी) सामना किया और उलटा-सुलटा बोलने लगी. "इतनी देर गये आते हो? मुझसे गवारा नहीं होगा, और ऐसा-वैसा वगैरह," उसका दिमाग हट गया । तब हम कहेंगे कि "हाँ यह बात तेरी सही है, अब तू कहती हो तो वापस चला जाऊँ और कहे तो अंदर आकर बैहूँ ।" तब कहे, "नहीं वापस मत जाना, यहाँ सो जाओ चूपचाप ।" लेकिन फिर पूछे, "गर तू कहे तो खाऊँ वर्ना मैं तो सो जाता हूँ।" तब कहें, "नहीं खाले ।" तब हम उसका कहा मानकर खालें । अर्थात एडजस्ट हो गये । फिर सुबहमें फर्स्ट क्लास चाय देवे और अगर उसे धमकायी उपरे नो, चायका कप बिगड़कर देगी और तीन दिन तक जारी रहेगा वही सिलसिला । खायें खीचडी या हॉटेल के पीझा? एडजस्ट होना नहीं आया तो लोग क्या करेंगे ? वाइफ के साथ झगड़ा करेंगे क्या ? प्रश्नकर्ता : हाँ । दादाश्री: ऐसा ?! क्या बाँटने के लिए? वाइफके साथ क्या बाँटोगे ? मिल्कियत तो साझेदारी में है । प्रश्रकर्ता : पतिके गुलाब जामुन खाने हो और बीबी खीचड़ी पकायेगी इसलिए फिर झगड़ा होता है । दादाश्री : झगड़ा करने के बाद वह क्या गुलाबजामुन लायेगी ? बाद में खीचडी ही खानी पड़ेगी ! प्रश्रकर्ता : फिर हॉटेलमेंसे बाहरसे पीझा मँगायेंगे ।
SR No.009572
Book TitleAdjust Everywhere
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size291 KB
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