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________________ एडजस्ट एवरीव्हेर! (सर्वत : समानुकूलन) पचायें एक ही शब्द ! प्रश्नकर्ता : अब तो जीवनमें शांति का सरल मार्ग चाहते हैं । दादाश्री : एक ही शब्द जीवन में उतारोगे ? उतारोगे, बराबर एक्सेक्ट (पूर्णतया)? प्रश्नकर्ता : एकझेक्ट, हाँ। दादाश्री : एडजस्ट एवरीव्हेर (सर्वत : समानुकूलन) इतना ही शब्द यदि आप जीवनमें उतार ले तो बहुत हो गया । आपको शांति अपने आप प्राप्त होगी । पहले हैं तो छह महीनों तक अडचनें आयेंगी, बादमें अपने आप ही शांति हो जायेगी । देरसे शुरूआत करने की वजह से पहले छह महीनो तक पिछले रिएकशन (प्रतिक्रियाएँ) आयेगे । इसलिए "एडजस्ट एवरीव्हेर" इस कलयुग के ऐसे भयावह कालमें यदि एडजस्ट (अनुकूल) नहीं हुए न, तो ख़तम हो जाओगे ! संसार में और कुछ नहीं आये तो हर्ज नहीं पर एडजस्ट होना तो आना ही चाहिए । सामनेवाला "डिसएजस्ट" (प्रतिकूल) होता रहे और हम एडजस्ट होते रहे तो संसार सागर तैरकर पार उतर जाओगे । दसरोंको अनुकूल होना आया उसे कोई दुःख ही नहीं रहेगा । एडजस्ट एवरीव्हेर । प्रत्येक के साथ एडजस्टमेन्ट होना यही सबसे बड़ा धर्म है इस कालमें तो एडजस्ट एवरीव्हेर प्रकृतियाँ भिन्न-भिन्न होती है इसलिए बिना एडजस्ट हुए कैसे चलेगा ? २ बखेड़ा मते करें, एडजस्ट होइए ! संसार माने ही समसरन मार्ग, इसलिए निरंतर परिवर्तन होता ही रहेगा । तब ये बूढ़ौ पुराने जमानेसे ही लिपटे रहतें हैं । अबे जमाने के साथ चल, वर्ना मार खाते-खाते मर जायेगा ! जमानेके अनुसार एडजस्टमेन्ट लेना होगा । मेरा तो चोरके साथ, यदि हम बात करें तो उसे भी लगे कि ये करुणावाले हैं । हम चोरसे "तू गलत है । " ऐसा नहीं कहें, क्योंकि वह उसका "व्यु पोइन्ट" (द्रष्टि-बिन्दु) है । तब लोग उसे "नालायक" कहकर गालियाँ दें । तब क्या ये वकील झूढे नहीं है ? "बिलकुल झूढा केस जीतवा दूँगा" ऐसा कहें क्या वे ठग नहीं कहलायेंगे? चोर को लुच्चा कहें और बिलकुल झुठे केसको सच्चा कहें, उसका संसारमें विश्वास कैसे कर सकते हैं ? फिर भी उनका भी चलता है न ? किसीको भी हम खोटा नहीं करते । वह अपने "व्युपोइन्ट"से करेक्ट (सही) ही है । लेकिन उसे सच बात समझायें कि यह तू चोरी करता है उसका फल तुझे क्या मिलेगा। ये भूडढ़े घरमें घुसने पर कहेंगे "यह लोहेकी अलमारी ?" यह रेडियो ? यह ऐसा क्यों ? तैसा क्यों ? ऐसे बखेड़ा करेंगे । अबे, किसी जवानसे दोस्ती कर ले । यह तो युग बदलता ही रहेगा । इसके बगैर ये जीयें कैसे ? कुछ नया देखा कि मोह होगा । नवीन नहीं होगा तो जीएँगे किस तरह ? ऐसा नवीन तो अनंत आया और गया, उसमें आपको बखेड़ा नहीं करना चाहिए । आपको अनुकूल नहीं आये तो आप मत करें । यह आइस्क्रीम हमसे नहीं कहती कि मुझसे दूर रहो । हमें नही खाना हो तो नहीं खयें । यह तो बूडढे उस पर चिढ़ते रहें । ये मतभेद तो युग परिवर्तन के हैं । ये बच्चे तो जमानेके अनुसार चलेंगे । मोह के कारन नया-नया उत्पन्न होगा और नया-नया ही देखने में आयेगी । यह संसार उलटा हो रहा है कि सुलटा यह हमने बुद्धिसे बचपन में ही सोच रखा था, और यह भी समझ लिया था कि किसीकी सत्ता ही नहीं है. इस संसारके परिवर्तन
SR No.009572
Book TitleAdjust Everywhere
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size291 KB
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