________________
एडजस्ट एवरीव्हेर तो मैं अपनी बात छोड देता हूँ । हमें तो यही देखना चाहिए, कैसे भी हो, सामनेवालेको दुःख नहीं होना चाहिए । हमारा अभिप्राय सामनेवाले पर थोपना नहीं चाहिए । सामनेवाले का अभिप्राय हमें लेना चाहिए । हम तो सभी के अभिप्राय स्वीकार करके "ज्ञानी" हुए है । मैं अपना अभिप्राय किसी पर थोपने जाऊँगा तो मैं ही कच्चा पड़ जाऊँगा? हमारे अभिप्रायसे किसीको दुःख नहीं होना चाहिए ।
आपके "रिवोल्यशन" (विचारकी गति) अटढारसौ के हो और सामनेवाले के छहसौ के हो और आप अपना अभिप्राय उर पर दें, तो उसका इंजन टूट जायेगा । उसके सारे गीयर बदलने पड़ेगे ।
प्रश्नकर्ता : "रिवोल्युशन" माने क्या ?
(१७) दादाश्री : यह सोचनेकी स्पीड (गति) जो है वह हर एककी अलग-अलग होती है । कुछ हुआ हो तो वह एक मिनटमें तो बहुत सी बातें दिखा दे, उसके सारे पर्याय "एटए-टाइम" (एक ही समयमें) दिखा दे । ये बड़े-बड़े प्रेसिडन्टोंको मिनट के बारह सौ "रिवोल्यूशन" फिरते है, तब हमारे पाँच हजार है. भगवान महावीरको लाख रिवोल्युशन फिरते थे ।
यह मतभेद होनेकी वजह क्या है ? आपकी पत्नीके सौ रिवोल्युशन' हो और आपके पाँचसो 'रिवोव्युशन' होनेसे आपको बिचमें "काउन्टर पुली" डालना नहीं आता इसलिए चकमक झरेगी और झगड़े होंगे । अरे! कभी कभी तो इंजन भी टूट जाता है । "रिवोल्युशन" समझे आप ? इस मझदूरसे आप बात करेंगे तो आपकी बात उसे पहुँचेगी नहीं । उसके 'रिवोल्युशन' पचास और आपके पाँचसो होंगे । किसीके हजार होते है, किसीके बारह सौ होते है, जैसा जिसका डेवलपमेन्ट (विकास) होगा, उसके अनुसार 'रिवोल्युशन' होंगे । बीचमें "काउन्टर पुली" माने आपको बीचमें पट्टा देकर आपके रिवाल्युशन घटाने होंगे । मैं हरएक मनुष्यके साथ "काउन्टर पुली" डाल देता हूँ । एक अहंकार निकाल देनेसे ही कुछ
एडजस्ट एवरीव्हेर होनेवाला नहीं है . "काउन्टर पुली" भी हरएक के साथ डालनी पडती है । इसी कारण हमारा किसीसे मतभेद ही नहीं होता है न । मैं समझ लूँ कि यह भाईके इतने ही 'रिवोल्युशन' है, इसलिए उसके अनुसार मैं 'काउन्टर पुली' लगा दूँ । हमारी तो छोटे बच्चेके साथ भी बहुत जमती है । क्योंकि मैं उसके साथ चालीसे रिवोल्युशन लगा कर बात करता हूँ, इससे मेरी बात उसको पहुँचती है, वर्ना मशीन टूट जाती।
प्रश्नकर्ता : कोई भी, सामने वाले के लेवल पर आयेगा तभी बात होगी?
दादाश्री : हाँ, उसके रिवोल्युशनपर आयेगा तो ही बात होगी । यह आपके साथ बात-चीत करते हमारे रिवोल्युशन कहीसे कहीं तक घुम आये ! सारी दुनिया घुम आये! काउन्टर पुली डालना आपको नहीं आता, उसमें कम 'रिवोल्युशन'वाले इंजन का क्या दोष ? वह तो आपका दोष कि 'काउन्टर पुली' डालना नहीं आया!
सिखे फ्युझ डालना! इतना ही पहचानना है कि यह 'मशीनरी' कैसी है, उसका 'फ्युस' उड़ जाने पर उसे किस प्रकार बिठाना है । सामनेवालेकी प्रकृतिसे 'एडजस्ट' होते आना चाहिए । हमारे तो सामनेवालेका 'फ्युझ' यदि उड़ जाये तब भी हमारा एडजस्टमेन्ट होता है। पर सामनेवालेका 'एडजस्टमेन्ट' टूटने पर क्या होगा ? "फ्यझ" गया । इसलिए फिर वह दीवारसे टकरायेगा, दरवाजेसे टकरायेगा, लेकिन तार टूटा नहीं है, इससे अगर कोई फ्युझ डाल देगातो फिर सब ठीक हो जायेगा, वर्ना वहाँ तक वह उलझन में रहेगा ।
आयु छोटी और घाँघल बड़ी ! सबसे बड़ा दुःख क्या है ? "डिसएडजस्टमेन्ट", वहाँ "एडजस्ट एवरीव्हेर" कर लें तो क्या हर्ज है ?