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पदार्थ विज्ञान
आँखसे दिखाई देते है, परन्तु कुछ इतने छोटे हैं कि उन्हे आंखसे नही देखा जा सकता। वे सूक्ष्म-निरीक्षण-यन्त्र अर्थात् माइक्रोस्कोप द्वारा देखे जा सकते है। इनको आजका विज्ञान वैक्टेरियाके नामसे पूकारता है। ये बैक्टेरिया भी दो प्रकारके होते है--स्थावर तथा त्रम। ये सभी तियंच गतिके माने जाते हैं ।
सभी प्रकारके बडे तथा छोटे ये जीव भी आगे अनेको जातियोमे विभाजित हो जाते हैं, जैसे पृथिवीके खनिज पदार्थ अनेको प्रकारके हैं । वनस्पतियाँ घास-फूस आदि अनेको प्रकारकी हैं। इसी प्रकार द्वीन्द्रिय कोडे अनेको प्रकारके है। त्रीन्द्रिय आदि भी अनेको प्रकारके हैं। चारो गतियोके सभी भेद-प्रभेदोको जोड़ा जाये तो चौरासी लाख होते है। इन्हे हो जीवकी चौरासी लाख योनि कहते हैं। ___ इनमे से मनुष्य तथा पशु-पक्षी तो माताके गर्भसे उत्पन्न होते है इसलिए गर्भज कहलाते हैं, परन्तु स्थावर तथा द्वीन्द्रियसे चतुरिन्द्रिय पर्यन्त तकके सर्व त्रस जीव माताके गर्भसे उत्पन्न नही होते। ऐसे सर्व जीवोको सम्मूछिम कहते है। गर्भज जीव तीन प्रकारके होते है-अण्डज, जेरज तथा पोतज । अण्डेसे उत्पन्न होने वाले अण्डज कहलाते हैं, जैसे-मुर्गी, कबूतर आदि । झिल्लीमे लिपटे हुए पैदा होनेवाले जेरज है जैसे-गाय, मनुष्य आदि । बिना ही झिल्ली अथवा अण्डेके उत्पन्न होकर तुरत ही भागनेदौड़नेवाले पोतज हैं जैसे-हरिन । __जिस प्रकार गर्भसे बाहर आनेके पहले गर्भमे रहनेवाले मासपिण्डमे जीव रहता है उसी प्रकार अण्डेमे रहनेवाले सफेद तथा पीले रसमे भी जीव अवश्य रहता है। अण्डेको निर्जीव नही समझना चाहिए। अण्डा तथा मछली आदि सब जीव हैं और वे भी त्रस जातिके, जिनका शरीर मांसरूप है ।