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पदार्थ विज्ञान मछली आदि ऐसे भी पचेन्द्रिय जीव हैं, जिनमे यह शक्ति नही पायी जाती । वे असज्ञी पचेन्द्रिय है। शेप सभी पचेन्द्रिय जीव सज्ञी है।
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व वनस्पति ऐसे पांच प्रकार के एकेन्द्रिय जीव हैं। मिट्टी, पत्थर, लोहा, सोना आदि सर्व खनिज पदार्थ पृथिवी कहलाते है। जल, अग्नि, वायु सर्व-परिचित हैं। घास, फल, फूल आदिको वनस्पति कहते है। भले ही आजका जगत् इनको जड़ मानता हो, परन्तु वास्तवमे ये जीव हैं । इस वातकी सिद्धि आगे की जायेगी। ये पाँच प्रकारके जीव क्योकि कीड़ो या मनुष्यो मादिकी भॉति चलते-फिरते नही हैं, इसलिए इन्हें स्थावर कहते है। द्वीन्द्रियसे लेकर सज्ञी पचेन्द्रिय तकके सर्व जीव क्योकि चल फिर सकते है, इसलिए उन्हें त्रस कहते है। इस प्रकार जीव दो प्रकारके होते हैं—त्रस तथा स्थावर ।
वास्तवमे उपयुक्त सभी भेद जीवके नही बल्कि उनके शरीरीके हैं। शरीर और जीव भले ही एकमेक दिखते हो और इसलिए आपको यह पता न चलता हो कि इनमे क्या भेद है। भले ही आप इस शरीरको ही जीव समझते हो अर्थात् इसे ही जानने-देखनेवाला समझते हो, पर वास्तवमे ऐसा नहीं है, क्योकि मृत्यु हो जानेपर शरीर पड़ा रह जाता है और वह जान-देख नही सकता। उसमे-से जो कुछ निकलकर चला गया है वह अमूर्तिक होनेके कारण आपके देखनेमे नही आता। वह कुछ है अवश्य । बस उसे ही जीव कहते है। वह इन्द्रियोसे दिखाई नहीं देता इसलिए वह ममूर्तिक है। यह अमूर्तिक जीव नित्य व सत् पदार्थ है । शरीर वास्तवमे जड़ है और - अनित्य व असत् है। फिर भी चेतनयुक्त होनेके कारण इसे जीव कह दिया जाता है।