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३ पदार्थ विशेष
को स्पिरिच्युअल साइंस (spiritual science) कहते है । और इसी प्रकार जड पदार्थ का नाम इस भाषामे मैटर हे इसलिए तत्सम्बन्धी विज्ञानको मैटीरियल साइस (material science) कहते हैं। __ चेतन पदार्थको प्राय नित्य कहा जाता है। इसका कारण यही है कि यह पदार्थ 'सत्' है, इसमे परिवर्तन नही होता। यह मूल पदार्थ है जिसका जन्ममरण नही होता, यह बात अगले प्रकरणमे स्पष्ट की जायेगी। इसी प्रकार जड या भौतिक पदार्थको अनित्य कहा जाता है। इसका कारण यही है कि जितना भी यह परिवतनशील दृष्ट जगत् है, जिसे कि पहले असत् कहा गया है, उसका निर्माण इसी पदार्थसे हुआ है। इन उपरोक कारणोसे ही वैदिक साहित्यमे चेतनाको सत् और जड को अमत् कहा गया है। सो उनउन शब्दोका तात्पर्य ठीक-ठीक जानना योग्य है । ४. मूतिक तथा अमूर्तिक
इनमे से कुछ पदार्थ दुष्ट हैं और कुछ अदृष्ट, अर्थात् पदार्थ दो प्रकारके होते है-मूर्तिक व अमूर्तिक । जो पदार्थ इन्द्रियो द्वारा छूकर, चखकर, सँघकर, देखकर अथवा सुनकर जाने जायें उन्हे मूर्तिक या रूपी कहते हैं, और जो इन्द्रियो द्वारा न जाने जायें उन्हे अमूर्तिक कहते है। जीव पदार्थ केवल अमूर्तिक है परन्तु अजीव पदार्थ मूर्तिक व अमूर्तिक दोनो प्रकारका होता है । लोकमे दिखाई देनेवाले जितने भी दृष्ट पदार्थ हैं वे सब मूर्तिक हैं, क्योकि इन्द्रियो द्वारा देखे जा रहे हैं। और इस प्रकार पृथिवी, जल, अग्नि, वायु (तथा वनस्पति, ईंट, पत्थर, महल, मकान, कारखाने, बडे-बडे विमान, रेल, मोटर आदि तथा चमडे-हड्डीका यह शरीर सभी मूर्तिक अजीव पदार्थ है। शरीर यद्यपि चेतनका ससर्ग रहनेके कारण जीव दिखाई देता है परन्तु वास्तवमे अजीव है और वह भी