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पदार्थ विज्ञान उर्दू भाषामे रूह और अगरेजी भाषामे सोल (soul) कहते है। शरीरसहित चेतन को अर्थात् जीवको उर्दू भापामे कायनात और अगरेजी भाषामे लिविंग बीइंग (living being) कहते हैं।
चेतन पदार्थकी भांति जड पदार्थको भी अनेको नामोसे पुकारा जाता है जैसे-अजीव, जड, पुद्गल, भौतिक पदार्थ इत्यादि । जिसमे जानने-देखनेकी शक्ति न हो उसे 'जड़' कहते है । जिसमे जीवन शक्ति न हो उसे 'अजीव' कहते हैं। क्योकि ईंट-पत्थर इत्यादिक पदार्थ जीते नही, इसलिए उन्हे अजीव कहना युक्त है। पुद् + गल इन दो शब्दो से मिलकर पुद्गल शब्द बना है । 'पुद्' का अर्थ है पूर्ण होना या मिलना 'गल'का अर्थ है गलना, विछुडना या टूटना। क्योकि ईंट, पत्थर, लोहा, सोना इत्यादि समस्त पदार्थ मिल-मिलकर बिछुड़ जाते हैं और बिछुड बिछुडकर पुन मिल जाते हैं, जुड-जुडकर टूट जाते है और टूट-टूटकर पुन. जुड़ जाते हैं इस लिए इन्हे पुद्गल कहना युक्तिसंगत है । यद्यपि जैसा कि आगे बताया जायेगा अजीव या जड द्रव्य पांच प्रकारका माना गया है, परन्तु व्यवहार्य होनेके कारण उन सबमे पुद्गल ही प्रधान है। इसी जड पदार्थको इगलिशमे मैटर कहते है । जड़ पदार्थके लिए पुद्गल शब्दका प्रयोग केवल जैन शास्त्रोमे ही प्रसिद्ध है, अन्यत्र नहीं। वैदिक दर्शनोमे इसे महाभूत कहा गया है । भूत शब्दसे ही भौतिक शब्द बना है। इसलिए पौद्गलिक पदार्थोको भौतिक कहा जाना युक्त है।
चेतन पदार्थका नाम क्योकि आत्मा है इसलिए इस सम्बन्धो. विज्ञानको अध्यात्म विज्ञान कहते है। और इसी प्रकार जड़ पदार्थका नाम क्योकि भौतिक पदार्थ है इसलिए इस सम्बन्धी विज्ञानको भौतिक विज्ञान कहते है। अँगरेज़ी भाषामे चेतन पदार्थका नाम स्पिरिट (spurnt) है इसलिए इस सम्बन्धी विज्ञान