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________________ चौरासी कुंदकुंद-भारती पृष्ठ पृष्ठ गाथा १८ १५९ निराकरण सदुत्पाद और असदुत्पादमें अविरोध द्रव्यार्थिक नयसे सदुत्पादका ८० १५२ वर्णन . १५४ १५४ १५५ १५५ १५५ गाथा मोह और रागद्वेषको नष्ट करनेवाला ही सर्वदुःखोंसे छुटकारा पाता है स्वपरका भेदविज्ञान ही मोहक्षयका उपाय है ८९-९० जिनप्रणीत पदार्थोंकी श्रद्धाके बिना धर्मलाभ नहीं होता मोहादिको नष्ट करनेवाला श्रमण ही धर्म है ज्ञेयतत्त्वाधिकार ज्ञानका विषयभूत पदार्थ द्रव्य, गुण और पर्यायरूप है १ स्वसमय और परसमयकी व्यवस्था द्रव्यका लक्षण स्वरूपास्तित्वका स्वरूप सादृश्यास्तित्वका स्वरूप द्रव्यस्वभाव सिद्ध उत्पादादि तीनरूप होनेपर ही सत् द्रव्य होता है उत्पादादि तीनों साथ होते हैं पर्यायोंके द्वारा द्रव्यमें उत्पादादिका विचार द्रव्यके द्वारसे उत्पादादिका विचार १२ सत्ता और द्रव्यमें अभिन्नता पृथक्त्व और अन्यत्वके भेदसे द्रव्य और सत्तामें भिन्नताका वर्णन अतद्भावरूप अन्यत्वका लक्षण अतद्भाव सर्वथा अभावरूप है इसका निषेध सत्ता और द्रव्यमें गुणगुणी भाव है १७ गुण और गुणीमें नानापनका १५५ १६३ १५५ १५६ पर्यायार्थिक नयसे असदुत्पादका वर्णन एक ही द्रव्यमें अन्यत्वभाव और अनन्यत्वभाव किस प्रकार रहते २२ १६१ सप्तभंगीका अवतार २३ १६१ मनुष्यादि पर्याय मोहक्रियाके फल हैं २४-२५ १६२ मनुष्यादि पर्यायोंमें जीवके स्वभावका आच्छादन किस प्रकार होता है २६ १६२ जीव, द्रव्यकी अपेक्षा अवस्थित और पर्यायकी अपेक्षा अनवस्थित है जीवकी अस्थिर दशाका वर्णन २८ १६३ जीवके साथ अस्थिरताका संबंध किस प्रकार होता है यथार्थमें आत्मा द्रव्यकर्मोंका अकर्ता है आत्मा तीन चेतनारूप परिणमन करता है तीन चेतनाओंका स्वरूप ३२ १६५ ज्ञान, कर्म और कर्मके फल अभेद नयसे आत्मा ही है अभेदभावनाका फल शुद्धात्म तत्त्वकी प्राप्ति करना है ३४ द्रव्यके जीव-अजीव भेदोंका ३५ १६५ लोक और अलोकके भेदसे दो भेद ३६ १६६ १६४ १५६ १६४ १५७ १३ १५७ १६४ १४ १५ वर्णन १५९
SR No.009555
Book TitleKundakunda Bharti
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
Publication Year2007
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size92 MB
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