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________________ (१९) मुखसे सुने हुए वृत्तांतको स्मरणकर तथा निमित्तशास्त्रद्वारा स्वप्नका फल विचार कर कहा___"प्रिये ! तुम्हारे गर्मसे त्रैलोक्यतिलक मोक्षगामी पुत्र होगा। यह सुनकर सवको अतिहर्ष हुआ और समय जाते हुए भी कुछ मालूम न हुआ। पूर्ण दस मास बीत जानेपर अईदास सेठके घर पुत्ररत्नको प्राप्ति हुई, घरोघर मंगल गान होने लगे, याचकोंको इच्छित दान दिया गया और स्वजन मुहृद इत्यादि पुरुषोंका भी यथायोग्य सन्मान किया गया। यह बालक दिन प्रतिदिन ऐसा बढ़ने लगा, मानों चन्द्रमा अपनी सम्पूर्ण कलाओं सहित विस्तारको प्राप्त हो रहा हो। ज्योतिषियोंने लग्न विचारकर शुभ नाम 'जंबूस्वामी' रखा। इनका ऐसा अनुपमरूप था कि जिसे देखकर नगरवासी राजा प्रना सबके चित्तको आनन्द होता था। नव स्वामी दस वर्षके हुए, तब वस्त्राभूपग धारणकर अपने संगके बालकोंमें खेलते हुए ऐसे मालूम होते थे मानों तारागणोंमें चन्द्र ही है। नगरके लोग धन्य धन्य कहकर आशीर्वाद देते थे। नहॉमिस रास्तासे स्वामी निकल जाते, वहींपर लाखों आदमियोंकी भीड़ हो जाती थी। यहाँ तक कि नर-नारी अपने आवश्यक कामोंको भी विस्मरण कर जाते थे। एक दिन राजा क्रीडा निमित्त बनमें गये थे और सब पुरजन भी आनंदमें मन थे कि अचानक राजाका पट्टवध हाथी छूट गया और नगरमें जहाँ तहाँ ऐसा घोर उपद्रव करने लगा मानो प्रलय काल ही भा गया हो। नर-नारी अत्यंत भयभीत हो पुकारने लगे। वाट और हाट सब बंद हो गये। काई भी निकल
SR No.009552
Book TitleJambuswami Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages60
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size2 MB
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